नई दिल्ली: मणिपुर सरकार (Manipur Government) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर समुदायों के बीच संघर्ष की संभावना और बिगड़े कानून-व्यवस्था (Law and order) का हवाला देते हुए बिना किसी मंजूरी जिलों और संस्थानों (Districts and institutions) के नाम बदलने (change name) को लेकर चेतावनी (alert) दी है. हिंसा के बाद देखा जा रहा था कि लोग बिना किसी अप्रूवल के अपने हिसाब से जिलों के नाम बदल रहे थे. सरकार ने इस बारे में लोगों को आगाह किया और इस तरह के कार्य करने से मना किया है.
सरकार ने कड़ी चेतावनी दी है कि आदेश का उल्लंघन करने वाले लोगों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. यह फैसला 3 मई को मणिपुर में मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के खिलाफ पहाड़ी जिलों के जनजातीय एकजुटता आंदोलन द्वारा आयोजित एक विरोध मार्च के बाद हुई जातीय झड़पों के बाद आया है. मुख्य सचिव विनीत जोशी द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य सरकार की स्पष्ट सहमति के बिना जिलों, उप-मंडलों, स्थानों, संस्थानों या उनके पते का नाम बदलने का कोई भी कार्य नहीं होना चाहिए.
बिना अप्रूवल ना बदलों जिला-संस्थानों का नाम
नोटिफिकेशन के मुताबिक, सरकार ने विभिन्न नागरिक समाज संगठनों, संस्थानों, प्रतिष्ठानों और लोगों को जानबूझकर जिलों का नाम बदलने या नाम बदलने की कोशिश करते हुए देखा है, जो आपत्तिजनक हो सकते हैं, विवाद का कारण बन सकते हैं और राज्य में समुदायों के बीच संघर्ष की वजह बन सकते हैं. सरकार इस मामले को बहुत संवेदनशीलता के साथ देखती है, यह मानते हुए कि इस तरह की कार्रवाइयों से समुदायों को विभाजित करने और राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने की संभावना है.
राज्य सरकार का शांति कायम करने पर फोकस
हाल ही ज़ोमी संगठन द्वारा चुराचांदपुर का नाम बदलकर ‘लम्का’ रख दिया था. यह गौर करने वाली बात है कि मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53% है और मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहता है. नागा और कुकी, जो आदिवासी हैं, राज्य में इनकी आबादी 40% है और पहाड़ी जिलों में रहते हैं. इस निर्देश को जारी करके, मणिपुर सरकार का लक्ष्य राज्य में विभिन्न समुदायों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखना है, साथ ही मौजूदा कानून और व्यवस्था संकट को दूर करने के लिए सामूहिक कोशिशों पर फोकस करना है.
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