– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
विपक्षी इंडी एलायंस के सदस्य हिन्दू धर्म पर हमला बोल रहे हैं। उसे धर्म नहीं धोखा बता रहे हैं। सनातन के उन्मूलन का ऐलान कर रहे हैं। मन्दिरों की मूर्तियों की प्रतिष्ठा के प्रतिकूल बयान दिए जा रहे हैं। जातिवाद और जातिगत वैमनस्य बढ़ाने वाले बयान दिए जा रहे हैं। इनमें से कोई भी दल विकास, सद्भाव और समरसता की बात नहीं कर रहा है, क्योंकि ऐसा करने पर इनको भी अपना हिसाब देना पड़ेगा। इंडी एलायंस की अनेक पार्टियां आज भी प्रदेशों मे सत्तारूढ़ हैं।
यूपीए सरकार में भी ये साझेदार रहीं हैं। इसलिए विकास पर मौन रहने में ही इन्हें अपनी भलाई दिखाई देती है। इन सबने नरेन्द्र मोदी को हटाने का एकमात्र एजेंडा बनाया है। इसलिए वोट बैंक राजनीति चल रही है। हिन्दू, सनातन, ठाकुर का कुआं, हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथ आदि पर नकारात्मक बयान दिए जा रहे हैं। दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने बिना भेदभाव के अभूतपूर्व विकास करके दिखाया है। इसके साथ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से प्रेरित बेमिसाल कार्य किए हैं। योगी श्री रामचरित मानस, हिन्दू और सनातन पर हमला बोलने वालों को उनकी औकात भी बता रहे हैं। जन्माष्टमी पर उन्होंने सनातन का अर्थ और भाव बताया था। उन्होंने कहा था कि यह मानव कल्याण का शाश्वत चिंतन है। उन्होंने कहा था कि जो सनातन रावण के अहंकार से नहीं मिटा, कंस के हुंकार से नहीं डिगा तथा बाबर और औरंगजेब के अत्याचार से नहीं मिटा, वह ऐसे सत्ता के लोभी लोगों से क्या मिटेगा। इन्हें अपने कृत्यों पर लज्जित होना चाहिए। रावण तथा हिरण्यकश्यप ने ईश्वर और सनातन धर्म की अवमानना करने का प्रयास किया था। कंस ने ईश्वरीय सत्ता को चुनौती दी थी, लेकिन वे सभी मिट गए।
सनातन धर्म मानवता का धर्म है। दुनिया के सभी मत, मजहब तथा सम्प्रदायों को सनातन धर्मावलम्बियों ने सुरक्षा व संरक्षण देने का कार्य किया है। सनातन धर्मावलम्बियों ने कभी भी स्वयं को विशिष्ट नहीं माना, बल्कि सदैव कहा कि ‘एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति’ अर्थात सत्य एक है, विद्वान व महापुरुष उन्हें अलग-अलग भाव से देखते हैं। अलग-अलग रास्तों से इनका अनुसरण करते हैं। श्रीकृष्ण ने निष्काम कर्म की प्रेरणा दी- ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ अर्थात बिना फल की चिन्ता किए अपना कर्म करते रहो। साथ ही, ‘परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्’ के भाव के साथ सज्जनों की रक्षा एवं संरक्षण के लिए कार्य करें, वहीं दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों के खिलाफ कठोरता से कार्य करें। उत्तर प्रदेश पुलिस बल ने भगवान श्रीकृष्ण के इन सभी उपदेशों को अंगीकार करके प्रदेश के परसेप्शन को बदलने में बड़ी भूमिका का निर्वहन किया है।
इसी का परिणाम है कि विगत एक वर्ष में उत्तर प्रदेश में 31 करोड़ पर्यटक आए हैं। उत्तर प्रदेश देश में निवेश के सबसे बड़े गंतव्य के रूप में उभरा है। प्रदेश के बारे में लोगों की धारणाएं बदल चुकी हैं। आज लोग यह मानते हैं कि उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक प्रगति करने वाले राज्यों में है। ईश्वर सत्य तथा शाश्वत है। इसी प्रकार सनातन धर्म भी सत्य और शाश्वत है। पांच सौ वर्षों पूर्व अयोध्या में सनातन धर्म को अपमानित करने का प्रयास किया गया था। आज ईश्वरीय अवतारों की कृपा से सनातन धर्म फिर से खड़ा हुआ है। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। दुनिया को मानवता के कल्याण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देने वाली भारत की सनातन परम्परा पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए। यह भारत की राष्ट्रीयता का प्रतीक है तथा देश को नई प्रेरणा देने का माध्यम है। भारत ने जी-20 की थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ रखी। भारत ने हजारों वर्षों से ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भाव को माना है। हमें अपनी इन उपलब्धियों पर गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। स्वच्छता सेवा अभियान में सहभागिता के लिए योगी नैमिषारण्य गए थे। यहां उन्होंने सनातन हिन्दू धर्म पर विचार व्यक्त किए थे। नैमिषारण्य की महिमा बताई थी। रामचरितमानस में संत तुलसीदास ने ‘तीरथ वर नैमिष विख्याता, अति पुनीत साधक सिद्धि दाता’ कह कर जिस नैमिषारण्य तीर्थ की महिमा का वर्णन किया है। इसके साथ ही सनातन का भी उल्लेख किया था- कृते च प्रति कर्तव्यम् एष धर्मः सनातनः।’
यह बहुत बड़ा सच है कि अपने को सेकुलर कहने सरकारों ने तीर्थ स्थलों का जानबूझ कर विकास नहीं किया। इसको वह साम्प्रदायिक विषय मानते थे। जबकि यह समग्र विकास का हिस्सा है। वर्तमान सरकार नैमिषारण्य तीर्थ को विश्वविख्यात करने के लिए अनेक कार्यक्रम आगे बढ़ा रही है। इसी अभियान में नई कड़ी जोड़ते हुए नैमिषारण्य तीर्थ के साथ सीतापुर के विकास की साढ़े पांच करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण हो चुका है। प्रदेश सरकार नैमिषारण्य के तीर्थों, आश्रमों के पुनरुद्धार के लिए कदम बढ़ा रही है। पौराणिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए मठ, मंदिर, तीर्थ स्थल के विकास हेतु सरकार सहयोग करेगी। सूत जी महाराज द्वारा जिन 88 हजार ऋषियों को 18 पुराणों के बारे में जो यहां पर प्रवचन दिया गया था, उनकी प्रतिकृति भी यहां पर स्थापित हो सके ,इसके लिए भी प्रयास किया जा रहा है। सरकार के साथ ही समाज का भी दायित्व है।
पवित्र धर्म स्थलों, तीर्थों, सार्वजनिक स्थलों तथा सार्वजनिक सम्पत्ति के संरक्षण का दायित्व सभी लोगों का है। ऐसा करना अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव होगा। सनातन धर्म को इसी कृतज्ञता के साथ जोड़ा जाता है। ‘कृते च प्रति कर्तव्यम् एष धर्मः सनातनः’। सनातन धर्म वही है, अगर किसी ने आपके प्रति कोई योगदान किया है, तो उसके प्रति तथा अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवैद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह में गोरखनाथ मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के विश्राम पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धर्म एक ही है, वह है सनातन धर्म।
बाकी सब संप्रदाय और उपासना पद्धति हैं। सनातन धर्म मानवता का धर्म है। यदि सनातन धर्म पर आघात होगा तो विश्व की मानवता पर संकट आ जाएगा। सनातन धर्म की व्यापकता को समझने के लिए हमें श्रीमद्भागवत का सार समझना होगा। उस उस सार को समझने के लिए विचारों को संकीर्ण नहीं रखना होगा। जिनकी सोच संकुचित हाेगी, वह श्रीमद्भागवत के विराट स्वरूप का दर्शन नहीं कर सकते। हम सभी को गौरव की अनुभूति करनी चाहिए कि हमें भारत में जन्म मिला है। क्योंकि भारत में जन्म लेना दुर्लभ है और उसमें भी मनुष्य का शरीर पाना और भी दुर्लभ है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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