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    बदनावर की हवाओं से इंदौर को रोशनी

  • October 06, 2023

    ग्रीन एनर्जी… हवाओं के झोंकों से बिजली उत्पादन को लगे पंख

    – मालवा में 100 पहाड़ी क्षेत्रों में हजारों मेगावाट पवन ऊर्जा से बन रही है बिजली

    – इंदौर के 50 किमी रेडियस में देवास और पीथमपुर में भी पवन चक्कियां लोगों को कर रहीं आकर्षित

    इंदौर। मालवा- निमाड़ (Malwa-Nimar) में जहां सौर ऊर्जा के लिए प्रयास करने में इंदौर (Indore) प्रथम स्थान पर है, वहीं मालवा मे 101 स्थानों पर पवन चक्कियों के माध्यम से जहां बिजली तैयार हो रही है। इंदौर शहर के 50 किमी परिक्षेत्र में भी हवा के झोंकों से बिजली तैयार तो हो रही है, लेकिन बदनावर क्षेत्र में लगे मप्र के सबसे बड़े प्लांट से भी इंदौर तक अतिउच्चतम दाब लाइनों के माध्यम से बिजली पहुंचाई जा रही है।

    मालवा में सबसे ज्यादा पवन ऊर्जा की क्षमता मंदसौर जिले की है, जहां 825 मेगावाट क्षमता की पवन चक्कियां लगी हैं। इसके बाद देवास में 760 मेगावाट, तीसरे क्रम पर रतलाम में 635 मेगावाट, चौथे क्रम में शाजापुर में 410 मेगावाट, पांचवें क्रम में धार में 213 मेगावाट, छठे स्थान पर आगर 156 मेगावाट, सातवें स्थान पर उज्जैन 137 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता रखता है। सबसे ज्यादा 29 इकाई रतलाम जिले में हैं, जबकि क्षमता सबसे ज्यादा मंदसौर की हैं। पवन चक्कियों के पंखे घूमने से राउटर के माध्यम से घर्षण के जरिए बिजली का उत्पादन होता है। करीब 101 स्थानों से बिजली 33 केवी लाइनों से मप्रपक्षेविविकं के फीडरों के माध्यम से लाइनों में पहुंचती है। यहां से विभिन्न स्थानों पर मांग के अनुरूप वितरित होती है। इन सभी स्थानों पर बिजली उत्पादन की अधिकतम क्षमता 3137 मेगावाट है।


    बदनावर में है सबसे बड़ा प्लांट
    इंदौर संभाग के ही बदनावर (Badnawar) में मुल्थान के पास धमाना गांव में अडानी विंड पावर प्लांट 325 मेगावाट का क्रियाशील है। इस प्लांट में सैकड़ों विंड मिल लगी हैं। एक मेगावाट की विंड मिल से प्रतिदिन करीब चार हजार यूनिट बिजली मिलती है। इस तरह इस प्लांट की क्षमता के अनुसार करीब 13 लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन एवं चार करोड़ यूनिट मासिक बिजली तैयार हो रही है। चार करोड़ यूनिट बिजली की बाजार कीमत करीब 28 करोड़ होती है। बदनावर के पास लगा यह अपनी तरह का विशालकाय प्लांट बदनावर तहसील में होते हुए भी आंशिक रूप से रतलाम, उज्जैन जिले की सीमा में फैला हुआ है। यहां से बिजली इंदौर-सांवेर के बीच हतुनिया तारपुरा स्थित पावर ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के 765 किलोवाट के अतिउच्चतम दाब श्रेणी के ग्रिड तक पहुंच रही है। इस तरह के ग्रिड मप्र में चुनिंदा स्थानों पर ही है। बदनावर की हवाओं से जितनी बिजली तैयार हो रही है, उतनी बिजली से लगभग आधा इंदौर रोशन हो सकता है।

    सूरज की रोशनी से सौर ऊर्जा और हवा के झोंकों से पवन ऊर्जा के माध्यम से बिजली बनने से सबसे बड़ी राहत यह है कि इससे प्रदूषण को मुक्ति तो मिल ही रही है, कार्बन उत्सर्जन भी न्यूनतम स्तर पर पहुंच रहा है। यह आमजन के बेहतर स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण कदम है। मालवा क्षेत्र में पहाड़ी इलाकों में सौ स्थानों पर हवा से बिजली तैयार हो रही है। सभी स्थानों से बिजली पश्चिम क्षेत्र बिजली वितरण कंपनी को प्राप्त होती है। इन बिजली निर्माताओं को अनुबंध के आधार पर भुगतान पावर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर की ओर से किया जाता है।

    भविष्य में बिजली उत्पादन के सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का क्षेत्र काफी विस्तृत रहेगा, जिसकी शुरुआत में हम काफी आगे निकल चुके हैं।
    अमित तोमर, एमडी,
    मप्रपक्षेविविकं इंदौर

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