स्टॉकहोम (Stockholm)। रसायन (Chemistry) का नोबेल (Nobel Prize ) जीतने वाले तीन अमेरिकी वैज्ञानिकों (Three American scientists) मौंगी जी बावेंडी (Mongi G Bawendi), लुई ई ब्रूस (Louis E Bruce) व एलेक्सी एकीमोव (Alexey Akimov) की खोज (discovery) इतनी अहम है कि इसने कंप्यूटर, टीवी, चिकित्सा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में विकास की रफ्तार बदल दी। रसायन विज्ञान के लिए नोबेल चयन समिति के अध्यक्ष जोहान एक्विस्ट ने कहा, क्वांटम डॉट्स में कई आकर्षक और असामान्य गुण हैं।
अहम बात यह है कि उनके आकार के आधार पर उनके अलग-अलग रंग होते हैं। रसायन विज्ञान का अध्ययन करने वाला हर व्यक्ति यह सीखता है कि किसी तत्व के गुण इस बात से नियंत्रित होते हैं कि उसमें कितने इलेक्ट्रॉन हैं। हालांकि, जब पदार्थ नैनो-आयामों में सिकुड़ता है, तो क्वांटम घटनाएं होती हैं, जो पदार्थ के आकार से नियंत्रित होती हैं। रसायन विज्ञान में 2023 के नोबेल विजेताओं ने इतने छोटे कण बनाने में सफलता हासिल की है कि उनके गुण क्वांटम घटना से निर्धारित होते हैं। इन कणों को क्वांटम डॉट्स कहा जाता है, जो नैनोटेक्नोलॉजी में बहुत अहम हैं।
नैनोडायमेंशन के इस सिद्धांत को मूर्त रूप देना असंभव लगता था। लेकिन, 1980 के दशक में एलेक्सी एकिमोव ने एक रंगीन कांच में आकार पर निर्भर क्वांटम प्रभाव पैदा किया। इसी दशक में लुई ब्रूस ने तरल पदार्थ में स्वतंत्र रूप से तैरते कणों में क्वांटम प्रभाव साबित किए। दोनों जानकारियों के आधार पर 1993 में मौंगी बावेंडी ने क्वांटम डॉट्स का रासायनिक उत्पादन किया।
क्या काम आती है यह खोज
नैनोटेक्नोलॉजी के ये सबसे छोटे घटक हमारे बीच कंप्यूटर, टेलीविजन की स्क्रीन से लेकर, चिकित्सा, रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में इस्तेमाल हो रहे हैं। एलईडी लैंप के जरिये ये नन्हें कण हमारे घरों को रोशन कर रहे हैं और ट्यूमरों से ऊतकों को हटाने में सर्जनों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। भविष्य में भी यह खोज मानवता के लिए कई बड़े समाधानों का जरिया बनेगी। शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में क्वांटम डॉट्स का इस्तेमाल लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे सेंसर, पतले सौर सेल और एन्क्रिप्टेड क्वांटम संचार में योगदान दे सकते हैं।
कुछ घंटे पहले लीक हुए नाम
नोबेल पुरस्कारों के इतिहास में यह संभवतः पहली बार हुआ जब विजेताओं की औपचारिक घोषणा से पहले उनके नाम सार्वजनिक हो गए। स्वीडन के सार्वजनिक प्रसारक ने बताया कि उन्हें नोबेल समिति की तरफ से तय समय से कुछ घंटे पहले ही विजेताओं के नाम से संबंधित विज्ञप्ति मिल गई। इस संबंध में रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया।
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