उज्जैन। शिप्रा नदी किनारे राणोजी की छत्री तथा यहाँ के गणेश मंदिर की हालत अत्यंत खराब है और यहाँ पर नशेड़ी बैठे रहते हैं तथा कचरा और बोतले पड़ी हुई हैं। उल्लेखनीय है कि इस स्थान को सुंदर बनाया जाना चाहिए लेकिन हो रहा है उलटा। नदी के पास हेरिटेज स्थल के रूप में जानी जाने वाली राणोजी की छत्री के पास बड़ा परिसर है। इस परिसर को सजाने के लिए सिंहस्थ के दौरान करोड़ों रुपए लगाए गए थे और पत्थर की गैलरी तथा डिजाइन बनाई गई थी और उस समय कहा गया था कि यह सब मजबूत और स्थाई काम हो रहा है लेकिन सिंहस्थ को अभी 6-7 साल ही बीते हैं और अधिकांश लाल पत्थर की यह डिजाइन चटक गई है और कहीं-कहीं तो गायब ही हो गई है। ऐसे में अब राणोजी की छत्री के बुरे हाल हैं।
छत्री के आसपास गाजर घास उग गई है और चारों तरफ गंदगी फैली रहती है। सुबह यहाँ जाकर देखो तो कहीं पर शराब की खाली बोतल और डिस्पोजल पड़े रहते हैं तो कहीं पर पॉलिथीन के ढेर। पूरे परिसर में आज सुबह कचरा फैला हुआ पड़ा था। सुबह 9 बजे तक भी कोई सफाई वाला यहाँ नहीं आया था। ऐसे में बाहर से आने वाली यात्री राणोजी की छतरी के स्मारक को देखेंगे तो उज्जैन की स्वच्छता का क्या संदेश लेकर जाएंगे। अंधेरा होते ही इस परिसर में ऑटो वाले गंजेड़ी और भंगेडिय़ों को ले आते हैं और यहाँ नशा करते हैं, इन्हें भी रोकने वाला कोई नहीं है। ऐसे में यहाँ रात्रि में कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है। प्रशासन को चाहिए कि इस पूरे परिसर को साफ स्वच्छ बनाएं, ताकि यहाँ आने वाले यात्री को अच्छा वातावरण मिल सके।
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