नई दिल्ली: राम सेतु के ऊपर दोनों तरफ दीवार बनाने और सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दिया है. यह जनहित याचिका हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड नाम की एक संस्था के अध्यक्ष अशोक पांडे ने दाखिल की थी. यचिकाकर्ता ने मांग की थी कि धनुषकोडी के पास समुद्र में रामसेतु के ऊपर 100 मीटर तक और अगर संभव हो तो एक किलोमीटर तक दीवार बनाने का निर्देश दिया जाए.
आखिर दोनों तरफ दीवार कैसे बनाई जा सकती है?- सुप्रीम कोर्ट
याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर दोनों तरफ दीवार कैसे बनाई जा सकती है? इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि एक तरफ बनाई जाए. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह एक प्रशासनिक फैसला है, इसलिए कोर्ट दीवार बनाने का निर्देश कैसे दे सकता है? यह याचिका जस्टिस संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के सामने सुनवाई के लिए आई थी.
जनहित याचिका को एक अन्य याचिका के साथ टैग करने से भी इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका को एक अन्य याचिका के साथ टैग करने से भी इनकार कर दिया, जिसमें स्मारक को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
सेतु के दर्शन से ही मोक्ष की गारंटी मिलती है- याचिका
याचिका में कहा कि पुल को आम तौर पर श्री राम सेतु के नाम से जाना जाता है, सेतु के दर्शन से ही मोक्ष की गारंटी मिलती है. याचिका में कहा कि मौजूदा भारत सरकार राम राज लाने के एजेंडे पर काम करने का दावा करती है वह तब-तक संभव नहीं है जब तक कि कोई दीवार खड़ी करके राम सेतु के दर्शन का प्रबंधन न किया जाए.
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