इंफाल (Imphal) । मणिपुर (Manipur) में जारी हिंसा (violence) के बीच बीजेपी (BJP) की प्रदेश इकाई ने अपने ही राज्य सरकार को इस मामले में दोषी ठहराया है. मणिपुर बीजेपी प्रदेश यूनिट (Manipur BJP State Unit) ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को चिट्ठी लिखी है जिसमें कहा गया है कि राज्य की जातीय हिंसा पर अंकुश लगाने में राज्य सरकार विफल रही है.
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखी गई इस चिट्ठी में राज्य की पार्टी प्रमुख ए सारदा देवी के नेतृत्व में 8 नेताओं ने अपनी सरकार पर ये आरोप लगाया है. इतना ही नहीं नेताओं ने पत्र में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की मांग भी की है.
बीजेपी मणिपुर यूनिट ने बताया कि मौजूदा अशांति 3 मई 2023 से शुरू हुई थी जिसे लगभग चार महीने हो चुके हैं. इस अवधि के दौरान विशेष रूप से आम जनता को अपने दैनिक जीवन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
मणिपुर में बदल रही है स्थिति: बीजेपी स्टेट यूनिट
चिट्ठी में लिखा गया है, ‘राज्य स्तर पर हमारी पार्टी भी इस संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. जनता के गुस्से और विरोध से अब धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है, लंबे समय से चली आ रही अशांति का एकमात्र दोष पूरी तरह से सरकार की विफलता पर आ गया है. सरकार स्थिति से निपटने में जुटी है’
एनआरसी को जल्द लागू किए जाने की मांग
उन्होंने जेपी नड्डा से म्यांमार के अवैध अप्रवासियों के बायोमेट्रिक पहचान की प्रक्रिया को भी जल्द पूरा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से आग्रह किया है ताकि राज्य में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) को शीघ्र लागू किया जा सके. इसके अलावा, प्रधानमंत्री को विधायकों की संयुक्त टीम को नियुक्ति करने की अपील की है ताकि मणिपुर के लोगों की समस्याओं को खत्म किया जा सके.
मणिपुर स्टेट यूनिट द्वारा जो चिट्ठी बीजेपी के पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा को लिखी गई है उसमें दो राष्ट्रीय राजमार्गों पर ट्रैफिक को सामान्य करने की मांग की गई है.
लोगों को जल्द मुआवजा दिए जाने की अपील
इसके अलावा उस चिट्ठी में मांग की गई है कि जितनी जल्दी हो सके सभी विस्थापित लोगों के उनके मूल निवास स्थान पर तत्काल पुनर्वास की व्यवस्था की जाए. मांग की गई है कि जिन्होंने इस हिंसा में अपना घर खोया है और मुआवजे का जो वादा किया गया है उन्हें वो तुरंत मिले.
स्टेट यूनिट की तरफ से इस हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों और घायलों को अनुग्रह राशि दिए जाने की मांग भी की गई है. पत्र में एसओओ (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस) के नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भी कहा गया है.
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