नई दिल्ली: खालिस्तानी आतंकी सुखदूल सिंह उर्फ सुक्खा दुनेके की गत 21 सितंबर को कनाडा के विनिपेग में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सुक्खा भारत में वांटेड क्रिमिनल था और उसके खिलाफ पंजाब और आसपास के राज्यों में 20 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे. सूत्रों के अनुसार, सुक्खा का एक ऑडियो सामने आया है, जिसमें वह नशे की हालत में अपने गैंग के करीबी से बात कर रहा है. यह ऑडियो सुक्खा की हत्या के करीब 2 महीने पहले का है. सुरक्षा एजेंसियों ने उसकी बातचीत को इंटरसेप्ट किया था.
आतंकी सुक्खा की मौत के बाद सुरक्षा एजेंसियों को गैंगस्टर गोल्डी बराड़ को लेकर एक पुख्ता जानकारी हाथ लगी है. गोल्डी बराड़ अमेरिका के कैलिफोर्निया मे एक आलीशान कोठी में राजस्थान और पंजाब के करीब 15 गुर्गों के सुरक्षा घेरे में रह रहा है. सुक्खा की मौत के बाद गोल्डी को डर है की उसका भी खात्मा हो सकता है. बराड़ की सुरक्षा में लगे उसके सभी गुर्गे वीजा डोंकी के जरिए USA में दाखिल हुए थे. बकायदा इन्होंने पहले अफ्रीकी मूल की लड़कियों से चर्च में शादी की ताकि उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल पाए, बदले में उन जरूरतमंद लड़कियों को मोटा पैसा दिया.
गोल्डी बराड़ के गुर्गों की शादियां महज कागजों में दर्ज हैं, ताकि पकड़े जाने पर ये डिपोर्ट न हों और अपने फर्जी नाम के जरिए उस देश में ही राजनीतिक शरण की अपील कर सकें. गोल्डी बराड़ ने सुक्खा की मौत के बाद एक बार फिर अपने वकीलों के जरिए अमेरिका में राजनीति शरण के लिए पैरवी शुरू की है, ताकि वह विरोधी गैंग के या विदेशी एजेंसियों की गोली का शिकार होने से बच सके. सुक्खा की मौत के बाद अनमोल बिश्नोई और गोल्डी बराड़ अलग-अलग ठिकाना बदल रह रहे हैं, ताकि कुछ अनहोनी होने पर दोनों विरोधी गैंग्स या एजेंसियों के टारगेट पर न आएं.
इधर सुरक्षा एजेंसियों के हाथ एक और पुख्ता जानकारी लगी है की सुक्खा को अपनी मौत के कुछ दिनों पहले ही अंदाज लग गया था कि उसकी जान को खतरा है. इसे लेकर सुक्खा ने एक ऑडियो नोट भी अपने एक करीबी साथी को भेजा था, जिसमें बकायदा इस बात का जिक्र किया गया था की अगर वह मारा गया तो इसका जिम्मेदार अर्श डल्ला भी होगा, क्योंकि उसने सुक्खा का साथ छोड़ दिया है. खालिस्तानी आतंकी सुक्खा से अर्श डल्ला ने क्यों दूरी बना ली थी, इसका जवाब सुरक्षा एजेंसियां खंगाल रही हैं. एक बात और पता चली है कि सुक्खा ड्रग्स का आदी हो चुका था.
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