भिण्ड (Bhind)। आपने देश और दुनिया में होने वाले कई तरह के मेलों के बारे में सुना होगा और उन्हें देखा भी होगा. ये मेले अपने आप में कई खूबियां लिए होते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मेले के बारे में बताने जा रहे हे. जो अपने आप में इस लिए अनूठा और विचित्र (Unique and strange) है क्योंकि यह मेला केवल महिलाओं (fair only women) के लिए ही आयोजित होता है. इस मेले में पुरुषों की पूरी तरह से नो एंट्री (Completely no entry for men) होती है।
दरअसल, भिंड जिले के गोरमी में बड़ी जग्गा कालिया मर्दन (श्रीकृष्ण) भगवान का मंदिर है. 182 साल पहले फूल डोल ग्यारस पर्व पर जलविहार मेले का आयोजन किया जाता है.मेले की शुरुआत मंदिर के महंत स्वर्गीय केशवदास महाराज के द्वारा की गई थी, मेले का आयोजन पांच दिन तक रखा जाता है. इस पांच दिन वाले मेले में दो दिन पुरुषों की इंट्री पर बैन रहती है। इन दो दिन में केवल महिलाएं ही खरीददारी करने आती है, पुरुष की एंट्री नहीं रहती।
इसलिए रखी जाती पुरुषों की एंट्री बैन
जलबिहार मेले के व्यवस्था रामसुजान बताते है कि पांच दिन के मेले में दो दिन की महिला की एंट्री रहती है, जबकि मेला 5 दिन तक भरा जाता है जिसमे दो दिन महिलाओं का होता है. 3 दिन का पुरुषों का रहती है मेले में शरारती लोग महिलाओं पर शरारत न करें इसलिए ये व्यवस्था पुराने लोगो ने रखी है।
घूंघट की ओट से आजादी
गोरमी तहसील का जलविहार मेला ग्वालियर-चंबल संभाग का एक मात्र ऐसा मेला है.जहां मेले में एक दिन पूरी व्यवस्थाएं महिलाएं ही संभालती हैं. इस दिन मेले में महिलाएं घूंघट की ओट से पूरी तरह आजाद नजर आती हैं. इस मेले के आयोजन को लेकर महिलाओं को काफी इंतजार रहता है.हालांकि कोविड की वजह से पिछले दो साल इस मेले का आयोजन नहीं हो सका था।
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