पटना: जदयू के पूर्व विधान पार्षद और वर्तमान में जदयू के प्रवक्ता रणवीर नंदन ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया है. एक लाइन में लिखे अपने इस्तीफा पत्र में कोई वजह तो नहीं बताई, लेकिन उन्होंने अपना इस्तीफा सीधे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को भेज दिया. वहीं, हैरानी की बात यह भी रही कि उनके इस्तीफा देने के बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकलने का पत्र जारी किया.
पार्टी से इस्तीफा देने के बाद रणवीर नंदन ने जदयू पर जमकर भड़ास निकाली. उन्होंने कहा, बुधवार सुबह को लगभग दस बजे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जी का फोन आया और उन्होंने मुझसे सीधा पूछा की आप चाहते क्या हैं? आप पार्टी लाइन के खिलाफ क्यों बोल रहे हैं? जब आपको पता है की वर्तमान में राजनीतिक परिस्थिति क्या है और जदयू का स्टैंड क्या है, तो फिर इस तरह के बयान का मतलब क्या है, जो आपने दिया है? रणवीर नंदन ने कहा कि मुझे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के इस तरह कहना ठीक नहीं लगा और मैंने तय कर लिया कि अब इस पार्टी में नहीं रहना है.
रणवीर नंदन ने कहा कि जिस बयान को लेकर मुझसे सवाल पूछा जा रहा है, उसमें गलत क्या है? मेरी व्यक्तिगत राय थी कि आज देश में नीतीश कुमार और प्रधान मंत्री नरन्द्र मोदी जैसे ईमानदार और परिवारवाद के खिलाफ देश की जनता के लिए काम करने वाले नेता दूसरा नहीं है. अगर ये दोनों एक साथ आ जाएं तो काफी अच्छा होगा और इससे देश का भी भला होगा. आखिर इसमें गलत क्या है? लेकिन, ये मेरी पार्टी को ठीक नहीं लगा तो मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
रणवीर नंदन ने कहा, आज जदयू में क्या हो रहा है किसी से छुपा हुआ नहीं हैं. जदयू लगातार कमजोर होती जा रही है. पार्टी दफ्तर में लोग नहीं आ पाते हैं. जो आते भी हैं उनसे ठीक से बात नहीं हो पाती है. ऐसे में मेरा दम घुट रहा था और मैंने इस्तीफा दे दिया. रणवीर नंदन इस बात खंडन करते हैं कि वह पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होते थे. उन्होंने कहा, मैंने जब तक पार्टी में रहा पुरजोर तरीके से पार्टी का स्टैंड रखा. रही बात बीजेपी के संपर्क में होने की तो अभी मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा, समय आने दीजिए सब तस्वीर साफ हो जाएगी.
वहीं, रणवीर नंदन के इस्तीफे और आरोप पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि उनके जाने से फर्क क्या पड़ता है. वो पार्टी में रहकर भी कोई काम नहीं करते थे और ना किसी मामले पर बयान देते थे. ना ही TV पर जाकर प्रवक्ता की हैसियत से पार्टी का तर्क रखते थे. उनके पार्टी में रहने या जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.
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