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अब एंटी ड्रोन सिस्टम से सुरक्षित होंगे भारत के बॉर्डर, जानिए क्‍या है एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी

September 27, 2023

नई दिल्‍ली (New Delhi)। देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर अब एंटी ड्रोन सिस्टम (anti drone system)  से निगरानी की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (26 सितंबर) को इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए बॉर्डर पर एंटी ड्रोन सिस्टम (anti drone system) तैनात किया जाएगा।

रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल कर दुश्मन का पता लगाकर उसका खात्मा करने का काम एंटी ड्रोन के जरिए किया जाता है. हाल ही में जब दिल्ली में हुए जी-20 सम्मेलन के लिए हाई प्रोफाइल विदेशी मेहमान आए थे तो उनकी सुरक्षा के लिए भी एंटी ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था. मेहमानों को जहां ठहराया गया, उन होटलों पर और आयोजनस्थलों की निगरानी के लिए भी एंटी ड्रोन तैनात किए गए थे. अब बॉर्डर पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाए जाने के केंद्रीय मंत्री के ऐलान के बाद ये फिर से चर्चाओं में हैं. ऐसे में यह सवाल जरूर दिमाग में होगा कि सीमा पर कौन सा एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया जाएगा, लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं कि एंटी ड्रोन सिस्टम क्या होता है और यह काम कैसे करता है।



क्या है एंटी ड्रोन सिस्टम?
एंटी ड्रोन सिस्टम एक टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तेमाल मानवरहित हवाई उपकरणों (Unmanned Aerial Devivces) को जैम करने के लिए किया जाता है। ड्रोन्स की अलग-अलग क्षमताएं होती हैं, जिस पर वे काम करते हैं। यह टेक्नोलॉजी रेडियो प्रीक्वेंसी के जरिए दुश्मन ड्रोन की पहचान करती है. ड्रोन को जैसे ही हवा में कोई संदिग्ध बात नजर आती है तो ड्रोन के जरिए इसकी जानकारी सेना को मिल जाती है। दुश्मन की नापाक हरकतों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है. देश की सुरक्षा के लिए यह जरूरी होता जा रहा है।

भारत के पास ड्रोन डिटेक्ट, डिटर एंड डिस्ट्रोय सिस्टम यानी D4 ड्रोन है. यह पहला स्वदेशी एंटी ड्रोन सिस्टम है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने तीन सालों में विकसित किया. DRDO के अनुसार, D4 ड्रोन हवा में 3 किमी की रेडियस में दुश्मन का पता लगाकर 360 डिग्री की कवरेज देता है. दुश्मन का पता लगाने के बाद यह दो तरह से काम करता है, हार्ड किल और सॉफ्ट किल. अगर इसको हार्ड किल कमांड दी जाती है तो यह अपने लेजर बीम के जरिए दुश्मन ड्रोन को नष्ट कर देता है. वहीं, सॉफ्ट किल के तहत D4 ड्रोन दुश्मन ड्रोन को नीचे ला सकता है या फिर लेजर बीम के जरिए उसके जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खराब कर देता है, जिससे ऑपरेटर से दुश्मन ड्रोन का संपर्क टूट जाता है. 26 जनवरी में परेड के मौके पर इसका प्रदर्शन किया गया था और इससे पहले कई बार खास मौकों पर इसके सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद सशस्त्र बलों में शामिल किया गया. डिजिटल इनोवेशन अलायंस- जी20 कार्यक्रम में डीआरडीओ के साइंटिस्ट बीके दास ने D4 ड्रोन सिस्टम की खासियत बताते हुए कहा था कि यह दुश्मन के ड्रोन का पता कर उसे तुरंत सॉप्ट किल के जरिए जैम कर सकता है और हार्ड किल के जरिए लेजर का इस्तेमाल कर ड्रोन को नष्ट भी कर सकता है।

एंटी ड्रोन के मामले में इजरायल सबसे आगे है. उसके पास मौजूद ड्रोन की सबसे ज्यादा चर्चा है. इजरायल के पास ड्रोन डोम है, जो 360 कवरेज देता है और इसमें जैमर और सटीक लेजर गन है. यह रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए दुश्मन ड्रोन का पता लगाता है. वहीं, अमेरिका ड्रोन हंटर का इस्तेमाल करता है, जो नेट गन से ड्रोन को निशाना बनाने के साथ हवा में ही उस पर कब्जा भी कर लेता है।

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