नई दिल्ली (New Delhi)। आजाद भारत (Independent India) के इतिहास में 3 ही ऐसे प्रधानमंत्री (Prime Minister) हुए हैं जिनका आजादी से पहले आज के पाकिस्तान में हुआ, लेकिन इनमें मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्हें हिंदुस्तान की तकदीर बदलने (change destiny of India) का मौका कई बार मिला है. वह देश में सबसे लंबे वक्त तक काम करने वाले कुछ प्रधानमंत्रियों में भी शुमार रहे हैं. आखिर कैसे उन्होंने अपने मजबूत फैसलों से इस देश को तरक्की के रास्ते पर लाया।
मनमोहन सिंह का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के चकवाल जिले के गाह गांव में साल 1932 में हुआ था. अपने जीवन के 90 बसंत देख चुके पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज भी राज्यसभा के सांसद हैं और हाल में देश की जनता ने उन्हें मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान देखा था. मनमोहन सिंह से पहले इंद्र कुमार गुजराल और गुलजारी लाल नंदा ही ऐसे पीएम रहे हैं जिनका जन्म आज के पाकिस्तान में हुआ, हालांकि दोनों को ही मनमोहन सिंह जितना लंबा कार्यकाल नहीं मिला।
बार-बार बदली देश की तकदीर
अगर मनमोहन सिंह के जीवन को देखा जाए, तो कई ऐसे मौके आए जब उन्होंने हिन्दुस्तान की तकदीर को बदलने वाले फैसले लिए. जब पीएम नरसिम्हा राव की सरकार में वह देश के वित्त मंत्री बने, तब उन्होंने 1991 का ऐतिहासिक बजट पेश किया. इस बजट ने देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की. उनकी बनाई नीतियों का ही नतीजा है कि आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाया है।
30 साल में 30 करोड़ लोग आए गरीबी से बाहर
मनमोहन सिंह के आर्थिक उदारीकरण की नीतियों ने देश को गरीबी के जंजाल से मुक्त कराने का काम किया. आज उनके 1991 के ऐतिहासिक बजट को आए लगभग 30 साल का वक्त बीत चुका है. इन नीतियों की वजह से देश में 30 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर आने में मदद मिली है. प्राइवेट सेक्टर का विस्तार हुआ है, जिससे करोड़ों नई नौकरियां पैदा हुई हैं. वहीं भारत, जो कई मामलों में इंपोर्ट पर निर्भर था, आज दुनिया के सबसे बड़े सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर में से एक बन चुका है. आईटी सेक्टर के विस्तार ने इस देश की बड़ी आबादी को अमीर बनाया है।
भूख, रोजगार और शिक्षा का रखा ख्याल
मनमोहन सिंह 2004 में जब देश के प्रधानमंत्री बने, तो उनकी सरकार में करोड़ों लोगों की भूख, रोजगार और शिक्षा का पूरा ख्याल रखा गया. उनके कार्यकाल में देश को मनरेगा जैसा कानून मिला जो ग्रामीण स्तर पर लोगों को रोजगार गारंटी देता है. उन्हीं की सरकार ने ‘खाद्य सुरक्षा विधेयक’ पेश किया, जिसने करोड़ों लोगों को भुखमरी से मुक्त कराने में मदद की।
इतना ही नहीं देश के भविष्य को संवारने के लिए उन्होंने ‘शिक्षा के अधिकार’ को एक मौलिक अधिकार बनाया. इसकी मदद से करोड़ों गरीब तबके के लोगों के लिए अच्छी शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित हुई।
कॉरपोरेट्स की जिम्मेदारी तय की
इतना ही नहीं मनमोहन सिंह के कार्यकाल में नया कंपनी अधिनियम भी लाया गया. इस कानून ने देश के कॉरपोरेट्स की जिम्मेदारी तय की. कंपनियों के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व लागू किया. इससे समाज के स्तर पर बड़े बदलाव देखने को मिले।
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