नई दिल्ली (New Delhi) । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को कहा कि उसने अपने चंद्र मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान (Lander Vikram and Rover Pragyan) के साथ सम्पर्क करने के प्रयास किए हैं, ताकि उनके सक्रिय होने की स्थिति का पता लगाया जा सके लेकिन अभी तक उनसे कोई सिग्नल नहीं मिला है। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को इस महीने की शुरुआत में ‘स्लीप मोड’ में डाल दिया था। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि लैंडर और रोवर से संपर्क करने का प्रयास जारी रहेगा। इस बीच, चंद्रयान-3 पर अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के डायरेक्टर नीलेश देसाई ने बताया है कि आखिर कितने फीसदी विक्रम और प्रज्ञान के दोबारा एक्टिव होने के चांसेस हैं।
इसरो के वैज्ञानिक नीलेश देसाई ने बताया, ”लैंडर और रोवर के साथ संपर्क स्थापित करने का प्रयास जारी है। यह अपने आप से पुनर्जीवित होगा और सिग्नल भेजेगा। अब तक कोई सिग्नल नहीं मिला है। अगर इलेक्ट्रॉनिक्स ठंडे तापमान से बचे रहे तो सिग्नल्स मिलने के 50-50 फीसदी संभावना है। अन्यथा, मिशन पहले ही अपना काम कर चुका है।” बता दें कि चंद्रमा पर सूर्योदय होने के साथ ही इसरो ने लैंडर और रोवर के साथ संचार फिर से स्थापित करके, उन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास किया है ताकि वे वैज्ञानिक प्रयोग जारी रख सकें।
चंद्रमा पर रात्रि की शुरुआत होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों को इस महीने की शुरुआत में क्रमशः 4 और 2 सितंबर को सुप्तावस्था या निष्क्रय अवस्था (स्लीप मोड) में डाल दिया गया था। हालांकि, उनके रिसीवर चालू रखे गए थे। इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, ”हमने लैंडर और रोवर दोनों को ‘स्लीप मोड’ पर डाल दिया था क्योंकि तापमान शून्य से 120-200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। बीस सितंबर से चंद्रमा पर सूर्योदय होगा और हमें उम्मीद है कि 22 सितंबर तक सौर पैनल और अन्य उपकरण पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगे, इसलिए हम लैंडर और रोवर दोनों को सक्रिय करने की कोशिश करेंगे।”
लैंडर और रोवर दोनों चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में हैं और वहां पर सूर्योदय होने के साथ ही यह मानते हुए कि उनके सौर पैनल इष्टतम रूप से चार्ज हो गए होंगे, इसरो उनकी स्थिति और कामकाज फिर से शुरू करने की क्षमता की जांच करने के लिए उनके साथ फिर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि उन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास किया जा सके।गत 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके। चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। लैंडर और रोवर का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और इन्हें वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए एक चंद्र दिन की अवधि (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालित करने के लिए तैयार किया गया था। इसरो को उम्मीद है कि ऐसे में जब चंद्रमा पर फिर से सूर्योदय हो गया है तो उन्हें फिर सक्रिय किया जा सकेगा ताकि वे वहां प्रयोग तथा अध्ययन जारी रख सकें।
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