नई दिल्ली: प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले करोड़ों लोगों के लिए एक बुरी खबर है. आने वाले दिनों में पीएफ पर मिलने वाला ब्याज कम हो सकता है. इससे प्राइवेट नौकरी करने वालों की एकमात्र सामाजिक सुरक्षा का आधार कमजोर हो सकता है.
सरप्लस की जगह ईपीएफओ को घाटा
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में आरटीआई के हवाले से ये जानकारी दी गई है. खबर के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान ईपीएफओ को सरप्लस के अनुमान के बाद भी घाटा हो गया था. ऐसा माना जा रहा था कि ईपीएफओ के पास 449.34 करोड़ रुपये का सरप्लस रहेगा, जबकि उसे 197.72 रुपये के घाटे का सामना करना पड़ गया. उसके बाद पीएफ पर दिए जा रहे ब्याज की दरों को लेकर नए सिरे से विचार करने का निर्णय लिया गया.
वित्त मंत्रालय का ऐसा है ब्याज पर रुख
अभी पीएफ पर मिल रहा ब्याज पहले से ही कम है. ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पीएफ पर ब्याज की दर 8.15 फीसदी तय की है. वित्त मंत्रालय का मानना है कि ईपीएफ को हुए घाटे को ध्यान में रखते हुए पीएफ की ब्याज दर पर पुनर्विचार जरूरी है. पीएफ की उच्च ब्याज दरों को कम करने और बाजार दरों के समतुल्य लाने की जरूरत है.
सिर्फ इस स्कीम में है पीएफ से ज्यादा ब्याज
अभी पीएफ पर मिलने वाले ब्याज की तुलना में बाजार से करें तो यह वाकई में ज्यादा है. छोटी बचत योजनाओं में सिर्फ एक सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम ही है, जिस पर अभी पीएफ से ज्यादा ब्याज मिल रहा है. इस स्कीम की ब्याज दर अभी 8.20 फीसदी है. सुकन्या समृद्धि योजना से लेकर राष्ट्रीय बचत पत्र यानी एनएससी तक, सभी पर ब्याज की दरें पीएफ की तुलना में कम हैं. वित्त मंत्रालय इस कारण लंबे समय से पीएफ के ब्याज को घटाकर 8 फीसदी से नीचे लाने की वकालत करता रहा है.
इस तरह से कम होता गया पीएफ पर ब्याज
वहीं दूसरी ओर पीएफ पर पहले से मिलते आ रहे ब्याज को देखें तो अभी दरें निचली साइड में हैं. पीएफ पर ब्याज को लगातार कम किया गया है. वित्त वर्ष 2015-16 में पीएफ पर ब्याज की दर 8.80 फीसदी से घटाकर 8.70 फीसदी की गई थी. ट्रेड यूनियंस के विरोध के बाद इसे फिर से 8.80 फीसदी किया गया था. उसके बाद पीएफ पर ब्याज की दरें कम होती रहीं और 2021-22 में 8.10 फीसदी के निचले स्तर पर आ गई. 2022-23 में इसे मामूली बढ़ाकर 8.15 फीसदी किया गया.
इतने करोड़ हैं ईपीएफओ के सब्सक्राइबर
पीएफ प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले करोड़ों लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा का सबसे बड़ा आधार है. इससे नौकरी की उम्र समाप्त होने यानी रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए एक फंड तैयार करने में मदद मिलती है. पीएफ पर ठीक ब्याज मिलने से करोड़ों लोगों को फायदा होता आया है. पीएफ के पैसों का प्रबंधन ईपीएफओ यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन करता है. अभी ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स की संख्या 6 करोड़ से ज्यादा है.
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