नई दिल्ली (New Delhi)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने बुधवार को कहा कि जब देश में तरक्की की बयार बह रही हो तो नकारात्मक कहानियां गढ़ने की गुंजाइश नहीं रह जाती है। उन्होंने कहा कि शोध विद्वानों को भारत के बारे में समय-समय पर फैलाई जाने वाली ‘कुटिल और राष्ट्र-विरोधी विमर्श’ का मुकाबला करने के लिए सबसे आगे रहना होगा।
यूरोप के दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर स्पष्ट रूप से कटाक्ष करते हुए धनखड़ ने कहा कि अगर ऐसे ‘हानिकारक’ एजेंडे वाले लोगों के लिए यहां चीजें काम नहीं करती हैं, तो वे यूरोप जा सकते हैं… ब्रिटेन जा सकते हैं, वहां हमेशा उन्हें सुनने वाले कुछ लोग होंगे।
ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी पिछली यात्राओं के दौरान केंद्र सरकार पर निशाना साधने वाले राहुल गांधी ने यूरोप के अपने मौजूदा दौरे के दौरान ब्रुसेल्स में एक मीडिया ब्रीफिंग में भी केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला। राहुल ने पिछले शुक्रवार को ब्रसेल्स में कहा था कि भारत के लोकतांत्रिक संस्थानों पर बड़े पैमाने पर हमला हुआ है और देश की लोकतांत्रिक संरचनाओं को ‘दबाने’ के इस प्रयास पर यूरोपीय संघ के हलकों में चिंताएं हैं।
उपराष्ट्रपति ने इसके अलावा, हाल के मानसून सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में बार-बार व्यवधान पर चिंता व्यक्त करते हुए, सांसदों से अमेरिकी संसद कांग्रेस के दोनों सदनों की कार्यवाही खासकर हाउस ऑफ कॉमन्स से सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि “हमें वैश्विक मामलों, सीनेट, कांग्रेस, हाउस ऑफ कॉमन्स की कार्यवाही की जांच करनी चाहिए।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि “अब, जब भारत बढ़ रहा है, तो क्या हम एक राजनीतिक शक्ति के रूप में अशांति को हथियार बनाने का जोखिम उठा सकते हैं? हम नऐसा हीं कर सकते। आप किसी भी 20 देश को चुन सकते हैं। क्या वहां नारेबाजी हो रही है? क्या उनके नेता सदन के वेल में (विरोध करने के लिए) दौड़ते हैं? क्या वे सभापति की ओर तख्तियाँ लेकर आते हैं?”
धनखड़ ने भारतीय वैश्विक परिषद में अनुसंधान संकाय को सीधे संबोधित करते हुए कहा, “आपको एक बड़ी भूमिका निभानी है। आप इस देश के सबसे प्रभावशाली राजदूत हैं। मैं आपको बता दूं, हमें सतर्क रहना होगा, आप समझदार हैं और इसका मुकाबला करने के लिए बुद्धिमान दिमाग वाले हैं।” इसके साथ ही उन्होंने एक देश,एक चुनाव पर कहा कि यह एक अवधारणा है। कोई इससे असहमत हो सकता है और कोई इसका पुरजोर विरोध कर सकता है। लेकिन यह कहना कि हम इस पर चर्चा ही न करें, यह लोकतंत्र नहीं है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved