नई दिल्ली (New Delhi)। कभी 300 रुपये प्रति किलो (Rs 300 per kg) के करीब बिकने वाले टमाटर (Tomato Price) के दाम अब समान्य हो चुके हैं. देश में आम लोगों को टमाटर 30 से 40 रुपये किलो के भाव पर मिल रहा है, लेकिन किसानों की टेंशन (Farmers’ tension increased) बढ़ गई है. किसान टमाटर की फसल को कौड़ियों के भाव (sell tomato crop at throwaway prices) बेचने को मजबूर हैं।
सिर्फ 80 पैसे किलो में टमाटर
महाराष्ट्र के लातूर में किसानों की हालत ये हैं कि उन्हें अपनी टमाटर की फसल को सिर्फ 80 पैसे किलो में बेचना पड़ रहा है. थोक मार्केट में इसके दाम तेजी से गिरे हैं, जिस कारण किसान टमाटर की फसल उगाने में आई लागत को भी निकाल नहीं पा रहे हैं।
किसानों ने क्या कहा
लातूर के एक किसान का कहना है कि टमाटर की 2 से 3 हेक्टेयर में खेती की थी, ताकि अच्छा मुनाफा मिल सके. इस फसल को तैयार करने में 2 से 3 लाख का खर्च आया था, लेकिन अब हालत ये है कि वह अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. किसानों ने इसे लेकर आपत्ति जताई है और सड़कों पर टमाटर को फेंकर विरोध किया. किसानों ने सरकार से इसे सही दाम मिलने की अपील की है।
क्यों इतने कम हुए टमाटर के दाम
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही टमाटर के दाम आसमान पर थे. भारी बारिश और आपूर्ति नहीं होने से टमाटर की कीमत देश में 200 से 300 रुपये के करीब पहुंच चुके थे. ऐसे में बड़ा लाभ कमाने के लिए ज्यादातर जगहों पर टमाटर की खेती होने लगी, जिसका असर पैदवार पर पड़ा. ज्यादा पैदवार होने से टमाटर की आपूर्ति बढ़ गई. वहीं सप्लाई चेन फिर से शुरू होने से बाजारों में ज्यादा मात्रा में टमाटर पहुंचने लगे. इस कारण टमाटर के दाम में तेज गिरावट हुई।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो 2005-06 में खेती 5,47000 हेक्टेयर पर होती थी, जबकि उत्पादन 99,68000 तक होता था. वहीं सत्र 2022-23 में टमाटर की खेती 8,64,000 पर खेती होती थी और उत्पादन बढ़कर 2, 62000 हो गया. 2023-24 में यह अनुमान बढ़कर डबल होने वाला है. यही खास कारण है कि टमाटर का उचित भाव नहीं मिल रहा है.
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