नई दिल्ली । ब्रिटेन के प्रधानमंत्री (UK Prime Minister) ने जी20 शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन (Second Day of G20 Summit) ग्रीन क्लाइमेट फंड में (In Green Climate Fund) 2 बिलियन डॉलर ($2 billion) के योगदान (Contribution) की घोषणा की (Announced) । यह वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए यूके की सबसे बड़ी फंडिंग है।
भारत में ब्रिटिश उच्चायोग ने एक बयान में कहा, “भारत में जी20 नेताओं की एक सभा आज (रविवार) समाप्त हो रही है। प्रधानमंत्री ने दुनिया पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए 2 बिलियन डॉलर के सबसे बड़े वित्तीय योगदान की घोषणा की है।” इसमें कहा गया है: “यूनाइटेड किंगडम ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) में 1.62 बिलियन डॉलर (2 बिलियन डॉलर) का योगदान देगा, जिसे ”सीओपी15” में कोपेनहेगन समझौते के बाद 194 देशों द्वारा स्थापित किया गया था।”
बयान में कहा गया है कि जीसीएफ वैश्विक उत्सर्जन को कम करने और समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल होने में मदद करने और विकासशील देशों का समर्थन करने के लिए यह सबसे बड़ी वैश्विक सहायता है। इसमें आगे कहा गया कि आज की घोषणा 2020-2023 की अवधि के लिए जीसीएफ में यूके के पिछले योगदान पर 12.7 प्रतिशत की वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है। जो 2014 की शुरुआती फंडिंग से दोगुनी है। ब्रिटिश उच्चायोग ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने नेताओं से इस दिसंबर में सीओपी28 शिखर सम्मेलन से पहले देशों के कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के परिणामों से निपटने को लेकर कमजोर अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया है।
बयान के अनुसार, जी20 नेताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “यूके आगे बढ़ रहा है और अपनी अर्थव्यवस्था को डीकार्बोनाइज कर और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए दुनिया के सबसे कमजोर लोगों का समर्थन कर अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहा है। पीएम सुनक ने कहा, “यह उस तरह का नेतृत्व है जिसकी दुनिया जी20 देशों से उम्मीद करती है, और यह सरकार यूके और दुनिया को और अधिक समृद्ध और सुरक्षित बनाने में उदाहरण पेश करती रहेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि यूके ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व किया है, जिसमें 2021 और 2026 के बीच अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त पर 11.6 बिलियन पाउंड खर्च करने का वादा भी शामिल है।
इसमें कहा गया है, “आज की घोषणा इस प्रतिबद्धता की दिशा में एक बड़ा योगदान दर्शाती है। यह ‘सीओपी 27’ में जलवायु अनुकूलन के लिए हमारी फंडिंग को तीन गुना कर देगा।” इसमें यह भी कहा गया है कि 2011 के बाद से यूके के जलवायु सहायता खर्च ने 95 मिलियन से अधिक लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद की है और 68 मिलियन टन से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किया है। बयान में कहा गया है, “यह यूके के घरेलू नेतृत्व द्वारा ऊर्जा के स्वच्छ रूपों में परिवर्तन के साथ-साथ चलता है। यूके ने किसी भी अन्य जी7 देश की तुलना में उत्सर्जन में तेजी से कटौती की है, कम कार्बन स्रोत अब हमारी आधे से अधिक बिजली के लिए जिम्मेदार हैं।”
“हमने देखा कि नवीकरणीय ऊर्जा ने 2023 के पहले तीन महीनों में यूके की बिजली का रिकॉर्ड 47.84 प्रतिशत उत्पादन किया और पवन, सौर और पनबिजली से उत्पादन पिछले साल रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। पिछले साल, हमने अपतटीय पवन की स्थापना में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि देखी। ब्रिटेन में दुनिया के चार सबसे बड़े कार्यशील पवन फार्म हैं।
आगे कहा गया, ”जीसीएफ में यूके के योगदान से इस वृद्धि के साथ-साथ उम्मीद है कि हम फिर से फंड के सबसे बड़े दानदाताओं में से एक बन जाएंगे, यूके सरकार जीसीएफ के महत्व पर जोर देना जारी रखेगी, जिससे अधिक गति के साथ परिणाम मिलेंगे। इसमें जीसीएफ से कम विकसित देशों और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों के लिए अपनी डिलीवरी में सुधार करने के लिए कहना शामिल है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं।” इससे पहले दिन में पीएम सुनक ने अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति के साथ अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया और फिर राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। विश्व नेताओं ने एक मिनट का मौन रखा और राजघाट पर पुष्पांजलि अर्पित की।
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