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    200 घंटे बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठक… घोषणा पत्र पर कैसे बनी सहमति?

  • September 10, 2023

    नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में आज जी 20 शिखर सम्मलेन का दूसरा दिन है. कल यानि पहले दिन लीडर्स समिट में जी20 डिक्लेरेशन यानि घोषणापत्र पर जी 20 के सभी सदस्यों ने अपनी आम सहमति दी. बड़ी बात यह है कि जी 20 शिखर सम्मेलन में सबसे बड़ी चुनौती रूस-यूक्रेन पर आम सहमति का बनना था. रूस-यूक्रेन पर सहमति कैसे बनी? इसको लेकर भारत में जी 20 के शेरपा अमिताभ कांत ने विस्तार से बताया है. जानिए उन्होंने क्या कहा.

    शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि रूस-यूक्रेन के मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए संयुक्त सचिव ई गंभीर और के नागराज नायडू समेत भारतीय राजनयिकों के एक ग्रुप ने करीब 200 तक लगातार बातचीत की थी. इस ग्रुप ने 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं और जी20 लीडर्स समिट के पहले दिन ही सहमति बनाने के लिए विवादित रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अपने समकक्षों को 15 मसौदे तैयार करके दिए.

    अमिताभ कांत ने बताया कि सहमति बनाने की कोशिश में संयुक्त सचिव ई गंभीर और के नागराज नायडू समेत भारतीय राजनयिकों ने मेरी काफी मदद की. अमिताभ कांत ने सभी के साथ एक्स (पहले ट्विटर) पर एक तस्वीर शेयर कर लिखा है, ”मेरी युवा, गतिशील और प्रतिबद्ध अधिकारियों की टीम, जिन्होंने G-20 नई दिल्ली घोषणा पत्र पर 100 फीसदी सहमति प्रदान की. इसका सारा श्रेय इनको जाता है.”


    नई दिल्ली घोषणा पत्र में रूस का नाम लिए बिना दिए 7 संदेश

    • सभी देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों को मानें
    • UNSC और UNA के प्रस्तावों पर अमल हो
    • किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता को स्वीकारें
    • देशों की राजनीतिक स्वतंत्रता की अनदेखी न हो
    • क्षेत्रीय अधिग्रहण की धमकी से बचना होगा
    • बल के प्रयोग से संप्रभुता को चुनौती मान्य नहीं
    • परमाणु हथियारों का उपयोग या धमकी अस्वीकार्य

    घोषणा पत्र में क्या-क्या कहा गया है?
    जी 20 के इस घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कहा गया है कि हम गहरी चिंता के साथ अपार मानवीय पीड़ा और इसके प्रतिकूल प्रभाव पर ध्यान देते हैं. साथ ही दुनिया भर में युद्ध और संघर्ष पर भी हमारा ध्यान है. यूक्रेन में युद्ध के संबंध में बाली में हुई चर्चा को याद करते हुए हमने अपनी बात दोहराई है.

    इस घोषणा पत्र में सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करने की सलाह दी गई है. इसमें कहा गया है कि किसी भी देश को क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. किसी राज्य की संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता खत्म करने से बचना होगा.

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