नई दिल्ली (New Delhi)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पिछले दिनों संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर हमला बोला था। पीएम मोदी (PM Modi) ने पूछा था कि क्यों नाम के आखिर में गांधी लगाते हैं, नेहरू नहीं? क्यों जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) को भुला दिया गया, जबकि वो बहुत बड़ी हस्ती थे। राहुल गांधी ने बाद में इस पर पलटवार करते हुए कहा था कि पीएम मोदी को भारतीय समाज की समझ नहीं है। उन्होंने कहा था कि वह अपने पिता का सरनेम लगाते हैं।
राहुल गांधी अपने नाम के साथ जो ‘गांधी’ सरनेम लगाते हैं वह उन्हें अपने परदादा फिरोज गांधी (Feroze Gandhi) से मिला है, जो स्वतंत्र सेनानी, पत्रकार और रायबरेली से सांसद थे। फिरोज गांधी का साल 1960 में महज 48 साल की उम्र में निधन हो गया था।
पिता की मौत के बाद इलाहाबाद आ गए थे फिरोज गांधी
फिरोज गांधी के पिता जब गुजरे तब उनकी उम्र बहुत कम थी। पिता के निधन के बाद युवा फिरोज इलाहाबाद अपनी आंटी शिरीन (Shirin Commissariat) के पास चले आए, जो उन दिनों लेडी डफरिन हॉस्पिटल (Lady Dufferin Hospital) में सर्जन थीं। इलाहाबाद में फिरोज ने इविंग क्रिश्चियन कॉलेज (Ewing Christian College) में दाखिला ले लिया। महज 18 साल की उम्र में फिरोज गांधी की जिंदगी में दो अहम पड़ाव आए। पहला स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव और दूसरा नेहरू परिवार से करीबी।
फिरोज घांडी से कैसे बन गए फिरोज गांधी?
फिरोज गांधी (Feroze Gandhi) जिन दिनों इविंग क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ रहे थे, उन्हीं दिनों पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू कॉलेज के बाहर सत्याग्रह की अगुवाई कर रहे थीं। अचानक गश खाकर गिर पड़ीं। युवा फिरोज फौरन उनकी मदद को बढ़े। बस यहीं से उनकी ‘आनंद भवन’ में आवाजाही बढ़ी, जो उन दिनों स्वतंत्रता सेनानियों का केंद्र था। ठीक इसी वक्त फिरोज ने अपने सरनेम में घांडी की जगह ‘गांधी’ लगाना शुरू किया, जो एक तरीके से महात्मा गांधी के सम्मान के साथ जुड़ा था।
इंदिरा से रिश्ते के खिलाफ थीं सास कमला नेहरू
फिरोज गांधी (Feroze Gandhi) ने जब पहली बार इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को प्रपोज किया तो वह महज 16 साल की थीं और फिरोज उनसे 5 साल बड़ थे। कमला नेहरू ने दोनों की उम्र में इसी फासले का हवाला देते हुए इस रिश्ते का विरोध किया और कहा कि इंदिरा बहुत छोटी हैं।
चर्चित पत्रकार सागरिका घोष अपनी किताब ‘इंदिरा: इंडियाज मोस्ट पावरफुल प्राइम मिनिस्टर’ (Indira: India’s Most Powerful Prime Minister) में लिखती हैं कि अगले 5 साल के दौरान टीबी के चलते कमला नेहरू की हालत बिगड़ती गई, लेकिन फिरोज ने उनका साथ नहीं छोड़ा। यहां तक कि उनके साथ इलाज के लिए जर्मनी तक गए।
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