नई दिल्ली: G-20 शिखर सम्मेलन दिल्ली में आगामी 9-10 सितंबर 2023 को तय है. आयोजन की तैयारियों के बीच कारकेड (Carcade) की खूब चर्चा है. इसे मोटरकेड (Motorcade) भी कहते हैं. मतलब वीवीआईपी वाहनों का काफिला, जिसकी सुरक्षा निगरानी सर्वश्रेष्ठ एजेंसियां करती हैं, ऐसे काफिलों की सुरक्षा के लिए पूरी दुनिया में खास तौर से ट्रेंड जवान लगाए जाते हैं. दिल्ली शिखर सम्मेलन में आने वाले राष्ट्राध्यक्षों को भी यही सुविधा मिलने वाली है.
शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले मेहमानों में जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं तो नौ विशेष आमंत्रित राष्ट्र प्रमुख भी भारत पहुंच रहे हैं. इस तरह कुल 29 वीवीआईपी राष्ट्राध्यक्ष / समकक्ष हस्तियां दिल्ली में होंगी. इनके आने का सिलसिला आठ सितंबर से ही शुरू हो रहा है. ऐसे में आयोजन से इतर इन सभी मेहमानों की सुरक्षा भारत की बड़ी जिम्मेदारी है.
अगर काफिला में कहीं से कोई जाने-अनजाने में घुस भी गया तो सुरक्षा में इसे बड़ी चूक माना जाएगा. भारत सरकार ने इसमें कोई चूक न करने की नीति के तहत ही तीन दिन के लिए दिल्ली को लगभग बंद सा कर दिया है. जो इलाके खुले भी हैं, वहां अनेक प्रतिबंध लागू रहेंगे. सुरक्षा कारणों से कैमरे तक चेक करवा लिए गए हैं. शिखर सम्मेलन के लिए हिंडन एयर बेस और आईजीआई एयरपोर्ट से मेहमानों के ठहरने के स्थान और सम्मलेन स्थल के रास्ते वीवीआईपी मूवमेंट के समय पूरी तरह से बंद रहने वाले हैं. यह सब कारकेड या मोटरकेड का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
क्या है कारकेड?
भारत सरकार ने बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को इस सम्मेलन में वीवीआईपी सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया है. प्रायः सुरक्षा कारणों से कम से कम तीन कार राष्ट्राध्यक्ष के लिए, पायलट कार, जैमर वाहन, सुरक्षा दस्ते की कारें, एम्बुलेंस और टेल कार अनिवार्य रूप से लगाई जाती हैं. कारों के इन्हीं काफिले को कारकेड या मोटर केड कहा जाता है. महत्वपूर्ण हस्तियों की रास्ते की मजबूत सुरक्षा व्यवस्था कारकेड है.
जी-20 शिखर सम्मेलन में आने वाले मेहमानों के जहाज हिंडन एयरबेस, गाज़ियाबाद और इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट नई दिल्ली की एयर स्ट्रिप पर उतरेंगे. वहां से होटल और सम्मेलन स्थल के एक-एक घर सुरक्षा के लिहाज से मैप किया गया है. ऐसे घर भी तय हैं, जहां छतों पर मूवमेंट के दौरान सुरक्षा कर्मी तैनात रहेंगे. रास्ते में पड़ने वाले घरों निवासियों को भी कुछ असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है. भारत में अतिथि देवो भव की परंपरा है, इसलिए लोग असुविधा के लिए तैयार भी हैं.
कौन-कौन हैं जी-20 सदस्य देशों के मेहमान
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