नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central government) ने पहले तो ई-वेस्ट या फिर कह लीजिए इलेक्ट्रानिक कचरे से निपटने के लिए नए नियम तैयार किए और अब सरकार ने भारत में बिकने वाले इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज की औसत आयु तय की है. औसत आयु तय करने का क्या है मतलब और औसत आयु तय करने से क्या होगा, आइए आपको इस बात की जानकारी देते हैं.
सरकार द्वारा इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज (electrical appliances) की औसत आयु तय किए जाने का साफ मतलब यह है कि निर्धारित आयु के बाद इन अप्लायंसेज को ई-वेस्ट मान जाएगा. ये औसत आयु अप्लायंसेज तैयार करने वाली कंपनियों के लिए होगी और इस आधार पर कंपनियों को ई-वेस्ट नष्ट करने का टारगेट दिया जाएगा. सरकार ने ये फैसला इसलिए लिया है ताकि ई-वेस्ट को नष्ट किया जा सके.
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (Union Ministry of Forest and Environment) द्वारा 134 इलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट्स की औसत आयु को तय किया है. आइए आपको बताते हैं कि किस प्रोडक्ट कि आखिर कितनी आयु है, फोन और लैपटॉप की औसत आयु पांच साल तो वहीं फ्रिज की औसत उम्र 10 साल, पंखे की 10 साल, वाशिंग मशीन की 9 साल, टैबलेट- आइपैड की पांच साल, रेडियो सेट की आठ साल, इलेक्ट्रिकल ट्रेन व रेसिंग कार (खिलौना) की औसत उम्र केवल 2 साल होगी.
ई-वेस्ट (e-waste) देश (Country) के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है, इसी को देखते हुए 1 अप्रैल से नए नियमों को लागू किया गया है, ई-वेस्ट पैदा करने वाले कंपनियों को ही इसे नष्ट करने की जवाबदेही होगी. कंपनियों को किसी भी ऑथोराइज्ड री-साइक्लर (Authorized Recycler) से ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा. सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद ही सरकार द्वारा कंपनियों को नए प्रोडक्ट्स मैन्युफैक्चर (Products Manufacturing) करने की अनुमति दी जाएगी.
उदाहरण: आइए आपको आसान भाषा में उदाहरण के माध्यम से समझाने का प्रयास करते हैं, मान लीजिए कोई कंपनी कैमरा तैयार कर रही है और इस प्रोडक्ट की औसत उम्र 10 साल है तो 10 साल बनाए जितने भी कैमरे हैं उसके 60 फीसदी हिस्से को नष्ट करने का सर्टिफिकेट ऑथोराइज्ड रीसाइक्लिंग करने वाले डीलर से लेना अनिवार्य होगा. इस सर्टिफिकेट के आधार पर सीपीसीबी उर्फ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उन्हें नए प्रोडक्ट मैन्युफैक्चर करने की अनुमति देगा.
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