• img-fluid

    अपने दादा की राह पर ही आगे बढ़ रहे हैं उदयनिधि, जानें देवता के नाम वाले करुणानिधि कम उम्र में ही कैसे बन गए थे नास्तिक?

  • September 05, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। तमिलनाडु के मंत्री (Tamil Nadu Minister) और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे (Chief Minister MK Stalin’s son) उदयनिधि स्टालिन (Udhayanidhi Stalin) के सनातन धर्म (Sanatana Dharma) को खत्म करने के बयान के बाद जहां हिन्दूवादी संगठनों (hinduist organizations) समेत कई समुदायों में भारी गुस्सा है, वहीं लोग इसके मूल कारणों की भी तलाश कर रहे हैं कि आखिर उदयनिधि ने क्यों और कैसे यह बात कही और क्यों वह इस पर अड़े हैं। दरअसल, उदयनिधि की जड़ें उस द्रविड़ आंदोलन (Dravidian movement) से जुड़ी हैं, जिसकी शुरुआत देश के दक्षिणी हिस्से में ब्राह्मणों के वर्चस्व को तोड़ने के लिए ब्राह्मण विरोधी आंदोलन के तौर पर शुरू हुई थी।

    दक्षिण का ब्राह्मण विरोधी आंदोलन
    इस आंदोलन की शुरुआत 1915-16 के आसपास हुई थी, जिसका नेतृत्व शुरुआत में मंझोली जाति के नेताओं सीएन मुलियार, टी एन नायर और पी त्यागराज चेट्टी ने की थी। इन लोगों ने जस्टिस आंदोलन की स्थापना की थी। इस आंदोलन में तेलगु रेड्डी, कम्मा, बलीचा नायडू और मलयाली नायर भी शामिल थे। बाद में ई वी रामास्वामी यानी पेरियार ने इस आंदोलन का प्रमुखता से नेतृत्व किया और इसे खूब बढ़ाया। बाद में करुणानिधि भी इस आंदोलन में शामिल हो गए।


    पेरियार का आत्मसम्मान आंदोलन
    1925 में कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले पेरियार ने आत्मसम्मान आंदोलन चलाया था। इसके तहत आत्मसम्मान विवाह की परंपरा शुरू की गई थी, जिसमें दोनों लड़का और लड़की को बराबर दर्जा दिया गया था। शादी में हिन्दू धर्म की परंपराओं और ब्राह्मणों की जरूरत को पूरी तरह से बाहर कर दिया गया था और अंतरजातीय व विधवा विवाह को प्रोत्साहित किया गया था। पेरियार ने वैवाहिक अनुष्ठानों को खारिज करते हुए शादी के निशान के रूप में थली (मंगलसूत्र) पहनने का विरोध किया था। करुणानिधि किशोरावस्था में ही पेरियार के विचारों से प्रभावित हो गए थे। उन्होंने भी इसी परंपरा से शादी की थी।

    देवता नाम वाले करुणानिधि कैसे बन गए नास्तिक
    3 जून, 1924 को करुणानिधि का जन्म तमिलनाडु के तंजौर जिले के थिरुकुवलाई गांव में हुआ था। वह एसाई वेल्लार जाति (पिछड़ी जाति) से ताल्लुक रखते थे, जिसका मुख्य पेशा शादी-विवाह या अन्य मांगलिक कार्यों में संगीत और वाद्य यंत्र बजाना था। करुणानिधि के पिता बल्लादीर मुथुवेलार प्रसिद्ध लोकगायक थे। उनकी माता का नाम अंजूगम था। वरिष्ठ पत्रकार ए एस पनीरसेल्वम ने अपनी किताब ‘करुणानिधि: ए लाइफ’ में लिखा है कि इस दंपत्ति को दो बेटियां थीं और बेटे की चाहत में मंदिर-मंदिर भटक रहे थे। जब बेटे का जन्म हुआ तो मां-बाप ने दक्षिण भारत के एक स्थानीय देवता के नाम पर करुणानिधि रखा लेकिन होश संभालते ही वह किशोरावस्था में ही नास्तिक बन गए।

    दरअसल, जन्म देने के एक हफ्ते के अंदर ही करुणानिधि की मां का निधन हो गया और इस घटना के कुछ वर्षों बाद पिता की भी मौत हो गई। रिश्तेदारों ने फिर अनाथ करुणानिधि की परवरिश की और जब वे बड़े हुए तो उन्हें पता चला कि उनके पिता भी अनाथ थे। ये बातें उनके दिमाग में घर कर गईं और जब उन्होंने पेरियार के बारे में जाना तो वह उनकी तरफ खिंचे चले गए। पेरियार ने एक कट्टर नास्तिक के रूप में भगवान के अस्तित्व की धारणा के विरोध में प्रचार किया था। अनाथ करुणानिधि ने भी इसे अपने जीवन में आत्मसात कर लिया था।

    बचपन में अपमानित हुए थे करुणानिधि
    जाति व्यवस्था और ऊंच-नीच के बेदभाव से भी करुणानिधि खासे नाराज थे। जब वह बच्चे थे, तभी लोकगायक पिता ने उन्हें संगीत और वाद्य यंत्रों की शिक्षा लेने के लिए भेजा था लेकिन उन्हें वहां अपमान झेलना पड़ा। नीची जाति का होने की वजह से उन्हें अलग जगह बैठने को कहा जाता था और उन गीतों को गाने से मना किया जाता था, जो उच्च जाति के लोग गाते थे। करुणानिधि ने अपनी संगीत की कक्षा को ही पहली राजनीतिक कक्षा बताया था। बाद में करुणानिधि ने अपनी फिल्मों को बदलाव का हथियार बनाया था। 13 साल की उम्र में उन्होंने हिन्दी विरोध आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी।

    करुणानिधि की यही विचराधारा उनके परिवार में आगे बढ़ी। अब उनके पोते उदयनिधि स्टालिन भी उन्हीं की राह पर आगे बढ़ते हुए सनातन धर्म के खात्मे की बात कर रहे हैं।

    Share:

    बिहार में अनोखी सजा, भांग बेचने के लिए 5 साल की जेल और एक लाख का जुर्माना

    Tue Sep 5 , 2023
    दरभंगा (Darbhanga)। वैसे तो देश में अवैध शराब (illicit liquor) या अन्‍य नशीले पदार्थ बेचना कानूनी अपराध है, लेकिन लोग इस धंधे में आज भी लिप्‍त हैं। ऐसा ही मामला बिहार (Bihar) में देखने को मिला जहां शराबबंदी होने के बाद भी शराब ब्रिकी हो रही है। दरभंगा की सिविल कोर्ट ने पहली बार भांग […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved