नई दिल्ली (New Delhi) । सनातन धर्म (Sanatan Dharma) पर विवादित टिप्पणी (controversial comment) के बाद हुए विवाद से पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamta Banerjee) दूरी बनाती हुईं नजर आईं। साथ ही उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि (Udayanidhi) के अनुभव पर भी सवाल उठा दिए। उनका कहना है कि सभी धर्मों का बराबर रूप से सम्मान किया जाना जरूरी है। इधर, कांग्रेस ने कहा कि हर राजनीतिक दल के पास अपने विचार रखने का अधिकार है।
क्या बोलीं सीएम बनर्जी
बनर्जी ने कहा कि हर धर्म से अलग-अलग भावनाएं जुड़ी होती हैं और भारत अनेकता में एकता का देश है। उन्होंने कहा, ‘मैं तमिलनाडु और दक्षिण भारत के लोगों का बहुत सम्मान करती हूं, लेकिन मेरा विनम्र अनुरोध है कि सभी का सम्मान करें, क्योंकि हर धर्म की अलग-अलग भावनाएं होती हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक देश है। भारत अनेकता में एकता का देश है।’
बनर्जी ने स्टालिन की टिप्पणी के बारे में कहा, ‘उन्हें उतना अनुभव नहीं है और उन्हें इस बारे में संभवत: पता नहीं होगा।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे यह नहीं पता कि उन्होंने ये टिप्पणियां क्यों और किस आधार पर कीं। मुझे लगता है कि हर धर्म का समान रूप से सम्मान किया जाना चाहिए… मैं सनातन धर्म का सम्मान करती हूं।’
बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार पुजारियों को पेंशन देती है। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में कई मंदिर हैं। हम मंदिरों, मस्जिदों और गिरजाघरों में जाते हैं। हमें ऐसे किसी भी मामले में शामिल नहीं होना चाहिए जिससे किसी वर्ग के लोगों को ठेस पहुंचे।’
क्या था मामला
स्टालिन के बेटे और तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि ने ‘सनातन धर्म’ की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए बल्कि इनका विनाश कर देना चाहिए। इसके बाद बेंगलुरु सरकार में मंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियंक खड़गे ने भी सनातन धर्म की तुलना बीमारी से कर दी थी।
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