नई दिल्ली: वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation, One Election) पर देशभर में नए सिरे से चर्चा शुरू हो गई है. इस बीच कानून मंत्रालय (ministry of law) के शीर्ष अधिकारियों ने रविवार (3 सितंबर) को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. कोविंद लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के एक साथ चुनाव कराने की संभावना पर गौर करने के लिए बनाई गई उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष हैं.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कानून सचिव नितेन चंद्रा, विधायी सचिव रीता वशिष्ठ और अन्य अधिकारियों ने कोविंद (Ramnath Kovind) को बताया कि समिति के सामने एजेंडे पर किस तरह आगे बढ़ेंगे. नितेन चंद्रा (Niten Chandra) उच्च स्तरीय समिति (high level committee) के सचिव भी हैं और रीता वशिष्ठ का विभाग चुनाव के मुद्दे, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और संबंधित नियमों से संबंधित है.
केंद्र सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने के लिए शनिवार को 8 सदस्यीयों की कमेटी गठित की. इस कमेटी की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे और इसमें गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह सदस्य होंगे.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Congress leader Adhir Ranjan Chowdhary) ने समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है. उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) को समिति में शामिल नहीं करने को लेकर भी निशाना साधा. केंद्र सरकार (Central government) ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर कमेटी ऐसे समय में बनाई है जब इस साल के आखिरी में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव होने वाले हैं. वहीं अगले साल लोकसभा का चुनाव होने वाला है.
वन नेशन, वन इलेक्शन पर उठाए गए कदमों को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार (3 सितंबर) को ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘इंडिया भारत है और यह राज्यों का संघ है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक देश, एक चुनाव का विचार भारतीय संघ और इसके सभी राज्यों पर हमला है.’’
क्या काम करेगी कमेटी?
यह कमेटी अविश्वास प्रस्ताव, दल-बदल कानून और लोकसभा की परिस्थितियों का विश्लेषण करेगी और उसके मुताबिक अपने सुझाव देगी. इसके अलावा समिति लोकसभा, विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की संभावना पर विचार और सिफारिश करेगी. फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि कमेटी का कार्यकाल कितना होगा. हालांकि समिति को जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है.
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