नई दिल्ली: दुनिया भर में महंगाई के कारण रसोई का बजट बिगड़ा हुआ है. इसी बीच, पिछले कुछ दिनों से भारत द्वारा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से दुनिया में खलबली मची हुई है. कई देशों में चावल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखी गई है.
पिछले सप्ताह के दौरान भारत ने उबले और बासमती चावल पर और अधिक प्रतिबंध लगाया, जिससे बुधवार को एशिया में चावल की कीमत बढ़कर 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. चावल समेत कुछ अन्य अनाजों पर प्रतिबंध 20 जुलाई से शुरू हुआ था. इसके बाद चावल के कई किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था. भारत दुनिया के सबसे ज्यादा चावल निर्यातक देशों में से एक है. इसके बाद थाईलैंड और वियतनाम जैसे देश हैं.
चावल को लेकर दुनिया में किस बात की चिंता?
इकनोमी टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमेरिटस पीटर टिमर ने कहा कि चावल की कीमतों में बढ़ोतरी अक्सर गरीब उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. उन्होंने कहा कि अभी सबसे बड़ी चिंता यह है कि थाईलैंड और वियतनाम भारत जैसे ही प्रतिबंध लगाते हैं तो दुनिया भर में चावल की कीमत 1000 डॉलर से ज्यादा हो सकता है.
अभी चावल की कीमत कितनी?
ग्लोबल मार्केट में चावल की बेंचमार्क कीमत फिलहाल 646 डॉलर प्रति टन है और बारिश कम होने से चावल की कीमत में और अधिक इजाफा हो सकता है. थाईलैंड ने तो इस बार सूखे की चेतावनी दी है, जिससे ग्लोबल मार्केट में चावल के दाम बढ़ने की आशंका और बढ़ गई है. फिलहाल चीन में फसल सही है और यहां से दुनिया को राहत मिल सकती है.
भारत ने क्यों लगाया प्रतिबंध
भारत की बात करें तो देश में चावल की कीमत पिछले साल की तुलना में कुछ ज्यादा कीमत में बिक रही है. नई दिल्ली में एक किलो चावल की कीमत 39 रुपये है. ऐसे में बढ़ते हुए चावल के दाम को लेकर एक्सपोर्ट पर या तो शुल्क बढ़ाया गया है या फिर प्रतिबंधित किया गया है.
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