जम्मू (Jammu)। तीन दशक से फरार दो और आतंकियों को एसआईए (SIA) ने गिरफ्तार किया है। दोनों ने पाकिस्तान में हथियारों की ट्रेनिंग (weapons training) ली थी। नब्बे के दशक में डोडा में आतंकवाद (terrorism in doda) में दोनों की सक्रिय भागीदारी रही है। पिछले तीन दिन में डोडा में 10 भगोड़े आतंकियों को गिरफ्तार करने में सफलता हाथ लगी है। पकड़े गए भगोड़े आतंकियों में से ज्यादातर डोडा के रहने वाले हैं।
इस बीच डीजीपी दिलबाग सिंह ने दावा किया है कि जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में जबर्दस्त कमी आई है। साथ ही सक्रिय आतंकियों की संख्या भी अब तक सबसे कम स्तर पर है। हम बचे हुए आतंकवाद को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।
पकड़े गए दोनों आतंकियों की शिनाख्त घाट गांव निवासी फिरदौस अहमद वानी व भारत गांव के खुर्शीद अहमद मलिक के रूप में हुई है। एसआईए की ओर से जम्मू कश्मीर को आतंकवाद मुक्त बनाने की दिशा में भगोड़े आतंकियों को चिह्नित करने तथा उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का विशेष अभियान चलाया गया है ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
सोपोर अब आतंकवाद मुक्त
सोपोर में एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात करते हुए डीजीपी ने कहा कि सोपोर कभी आतंकवाद के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह आतंकवाद मुक्त है। आज यहां हर जगह व्यापार फल-फूल रहा है। सड़कों पर शांति कायम है और लोगों के चेहरों पर मुस्कान है। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि जम्मू कश्मीर धीरे धीरे आतंकवाद मुक्त की ओर बढ़ रहा है।
सुरक्षा बलों की अगली चुनौती नशा तस्करी तथा नशे के दुरुपयोग से पनप रहे आतंकवाद से निपटने की होगी। हम इसके खिलाफ उसी ताकत से लड़ेंगे और जम्मू कश्मीर को आतंकवाद मुक्त और नशा मुक्त करेंगे। पंचायत चुनाव के विषय में पूछे जाने पर कहा कि सुरक्षा के जो भी प्रबंध होंगे वह सब पूरे किए जाएंगे। इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं होगी। जब भी चुनाव होंगे, पुलिस सुचारू मतदान सुनिश्चित करेगी।
बारामुला और त्राल में सिख समुदाय के सदस्यों के मृत पाए जाने की दो घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने कहा कि ऐसी घटनाएं सामान्य हैं। पुलिस ने दोनों घटनाओं का संज्ञान लिया है और चिंता की कोई बात नहीं है। एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है। बारामुला के सिख समुदाय के सदस्य की मौत का मामला क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया है।
सात माह बाद लश्कर के दो आतंकी गिरफ्तार
इसी वर्ष राजोरी के ढांगरी में हुए हिंदुओं के नरसंहार मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हमले के दो मास्टरमाइंड हाजी निसार अहमद उर्फ निसार अली और मुश्ताक हुसैन को गिरफ्तार किया है। दोनों पुंछ जिले के मेंढर के रहने वाले हैं। दोनों ने अपने घर से 2 किमी दूर जंगल में नरसंहार को अंजाम देने वाले आतंकियों के लिए आतंकी ठिकाना बनाया हुआ था।
दोनों आतंकी संगठन लश्कर ए ताइबा के लिए काम करते हैं। आतंकियों को हथियार, पैसा, खाने-पीने का सामान और अन्य चीज इन्हीं दोनों ने मुहैया करवाई थी। जांच में यह भी सामने आया है कि ढांगरी नरसंहार को अंजाम देने में सिर्फ दो आतंकवादी शामिल थे। यह दोनों आतंकी पाकिस्तान के रहने वाले थे। हालांकि अभी यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि नरसंहार में शामिल आतंकी किसी ऑपरेशन में मारे गए हैं या जिंदा हैं। आशंका जताई जा रही है कि पिछले दिनों राजोरी के जंगल में मारे गए दोनो आतंकी ही नरसंहार में शामिल थे।
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