मुंबई। जेट एयरवेज (Jet Airways) के संस्थापक नरेश गोयल (Naresh Goyal) को बैंक धोखाधड़ी मामले में कोर्ट ने 11 सितंबर तक ईडी की हिरासत में भेजा है। वे अब 14 दिन तक ईडी की हिरासत में रहेंगे। केनरा बैंक से 538 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने शुक्रवार देर रात गोयल को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद आज 74 वर्षीय गोयल को शनिवार को मुंबई में विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया था। जहां ईडी उनकी हिरासत की मांग की।
गोयल ने लोन के पैसे से खरीदे फर्नीचर और आभूषण, ऐशो-आराम में उड़ाए पैसे : ईडी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिमांड की मांग करते हुए अदालत को बताया कि गोयल ने उधार लिए गए पैसे का इस्तेमाल व्यक्तिगत लाभ और ऐशो-आराम में किया। इसके अलावा लोन राशि का दुरुपयोग नाजायज उद्देश्यों के अलावा फर्नीचर, परिधान और आभूषण जैसी चीजें खरीदने के लिए किया गया। जेआईएल के फंड का इस्तेमाल गोयल ने अपने आवासीय कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने और उनकी बेटी के स्वामित्व वाली एक उत्पादन कंपनी के परिचालन खर्चों को पूरा करने के लिए भी किया गया। इसके अलावा विभिन्न व्यक्तियों, संस्थाओं को पेशेवर और परामर्श शुल्क के भुगतान की आड़ में भी धन की हेराफेरी का दावा किया गया है।
जेट एयरवेज, नरेश गोयल, उनकी पत्नी अनीता गोयल और कंपनी के कुछ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला केनरा बैंक से 538 करोड़ रुपये के कथित धोखाधड़ी से जुड़ा है। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने केनरा बैंक की शिकायत पर गोयल दंपती और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। ईडी ने मामले की जांच सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर शुरू की थी। सीबीआई ने बैंक धोखाधड़ी मामले में गोयल, उनकी पत्नी अनिता और कंपनी के कुछ पूर्व अधिकारियों को आरोपी बनाया है। बैंक ने सीबीआई को शिकायत की थी कि उसने जेट एयरवेज लिमिटेड (JAL) को 848.86 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जिसमें से 538.62 करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं। इस खाते को 29 जुलाई, 2021 को फ्रॉड घोषित कर दिया गया था।
फोरेंसिक ऑडिट से खुलासा
बैंक का आरोप था कि कंपनी की फोरेंसिक ऑडिट से पता चला कि गोयल ने अपनी अन्य कंपनियों को 1410.41 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में भुगतान किया और जेट का पैसा बाहर भेजा। सहयोगी कंपनियों को कर्ज और अन्य निवेश के जरिये भी भुगतान किया गया।
धन की हेराफेरी का आरोप
सीबीआई का आरोप है कि गोयल परिवार के कर्मचारियों के वेतन, फोन बिल और वाहन खर्च जैसे निजी खर्चों का भुगतान कंपनी द्वारा किया गया था। इसके अलावा फॉरेंसिक ऑडिट में पता चला कि जेट लाइट (इंडिया) लिमिटेड (JLL) के जरिये अग्रिम भुगतान और निवेश के माध्यम से धन की हेराफेरी की गई और बाद में प्रावधान करके उसे बट्टे खाते में डाल दिया गया। सीबीआई के मुताबिक, जेआईएल ने अपनी सहायक कंपनी जेएलएल के लिए ऋण और निवेश के रूप में धन का उपयोग किया।
बता दें, ईडी ने जुलाई में जेट एयरवेज के पूर्व प्रमोटर नरेश गोयल और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान भारतीय और विदेशी मुद्रा जब्त की है गई है। ईडी ने एक बयान में कहा था कि उसने एक करोड़ रुपये से अधिक की बैंक जमा राशि भी जब्त की है। ईडी ने 2020 में मुंबई पुलिस की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद गोयल और अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था।
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