मुंबई (Mumbai) । महाराष्ट्र (Maharashtra) की एकनाथ शिंदे सरकार (Eknath Shinde government) में तीनों सहयोगी दलों के बीच खटपट शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि सरकार में शामिल नए सहयोगी दल एनसीपी (NCP) के नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार (Deputy Chief Minister Ajit Pawar) के कामकाज के तरीके और एकतरफा फैसले लेने के कदम से न केवल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना बल्कि बीजेपी (BJP) भी नाखुश है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अब यह सुनिश्चित करने के उपाय कर रहे हैं कि अजित पवार के भविष्य के फैसले ‘सर्वसम्मति से’ हों।
ईटी की रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त और योजना मंत्री अजित पवार द्वारा मंजूर की गई फाइलें अब डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस के पास भेजी जाएंगी और उसके बाद ही इसे अंतिम मंजूरी के लिए सीएम शिंदे के पास भेजा जाएगा। पिछले कुछ दिनों में अजित पवार द्वारा लिए गए कई फैसलों के बाद यह नई व्यवस्था मुख्यमंत्री की तरफ से बनाई गई है। पवार के फैसलों से शिंदे और बीजेपी दोनों खेमों में बड़ी नाराजगी है।
पवार ने रखी थीं कड़ी शर्तें
दरअसल, डिप्टी सीएम अजित पवार ने 21 अगस्त को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) से ऋण प्राप्त करने के लिए कड़ी शर्तें रखी थीं। इसके दायरे में भाजपा नेताओं और विधायकों के मालिकाना या कंट्रोल वाली छह चीनी सहकारी समितियां आ रहीं थीं लेकिन शिंदे सरकार ने बुधवार को इस फैसले को पलट दिया। हालांकि, यह फैसला आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण था, बावजूद इसके इस फैसले को बीजेपी के प्रभाव को कम करने के अजित पवार के प्रयास के रूप में देखा गया।
बीजेपी ने कैसे पलटा फैसला
राज्य के सहकारी क्षेत्र में एनसीपी का दबदबा है और वह इस क्षेत्र में बीजेपी की एंट्री से नाराज है। मंगलवार को, कई बीजेपी नेताओं और विधायकों जैसे विजयसिंह मोहिते पाटिल, अभिमन्यु पवार, हर्षवर्द्धन पाटिल और अन्य, जिन्हें ऋण प्राप्त करना था, ने शिंदे और फड़नवीस से मुलाकात की और स्थिति के बारे में शिकायत की। इस बैठक के बाद अजित पवार के आदेश को वापस लेने का फैसला लिया गया।
इस घटनाक्रम के बाद अब मुख्यमंत्री शिंदे ने एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है जिसके तहत डिप्टी सीएम अजित पवार अकेले कोई निर्णय नहीं लेंगे। अब से, पवार के मंत्रालय की फाइलें और महत्वपूर्ण फैसले पहले फड़णवीस के पास जाएंगे और उनकी मंजूरी के बाद, उसे अंतिम मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा।
पवार परिवार के गढ़ में सेंधमारी करने वालों पर नकेल
दरअसल, दो महीने पहले ही सरकार में शामिल हुए अजित पवार का एनसीडीसी ऋण पर उठाया गया एकमात्र ऐसा कदम नहीं था, जिससे शिंदे सेना और बीजेपी नाराज थी। कुछ दिन पहले, एनसीपी के सहयोग मंत्रालय ने भाजपा के दौंड विधायक राहुल कुल द्वारा चलाई जा रही एक चीनी फैक्ट्री की संपत्ति जब्त करने का भी नोटिस जारी किया था। पवार परिवार के गढ़ बारामती में उनका मुकाबला करने के लिए बीजेपी द्वारा राहुल कुल को बढ़ावा दिया जा रहा था। 2019 के संसदीय चुनावों में, उनकी पत्नी कंचन बारामती ने सुप्रिया सुले के खिलाफ ताल ठोकी थी। हालांकि वह हार गईं थीं।
अजित पवार पर दूसरे के अधिकारों में दखल देने के आरोप
इतना ही नहीं, एक दिन पहले ही भाजपा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने पुणे जिले के मामलों में अजित पवार के ‘हस्तक्षेप’ को लेकर मुख्यमंत्री शिंदे से शिकायत की थी। पाटिल पुणे के संरक्षक मंत्री हैं और इस बात से नाराज थे कि पवार वहां के अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। अजित पवार द्वारा अन्य विभागों (जो उनके मंत्रालय के अंतर्गत नहीं हैं) के अधिकारियों के साथ बैठक करने से भी सहयोगी दलों में काफी नाराज़गी है।
कुछ दिनों पहले एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया था कि चूंकि अजित पवार के पास वित्त और योजना विभाग हैं, इसलिए वह अन्य विभागों के साथ बैठकें कर सकते हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है लेकिन सहयोगी दलों शिवसेना और बीजेपी को यह रास नहीं आ रहा। बता दें कि जुलाई के पहले हफ्ते में ही अजित पवार ने एनसीपी में बगावत करते हुए एकनाथ शिंदे सरकार में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ आठ अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी।
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