नई दिल्ली: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के रोवर ने चांद (Moon) की सतह पर पहली बड़ी चुनौती पार करने के बाद इसरो (ISRO) ने राहत की सांस ली है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसरो के वैज्ञानिक के हवाले से बताया है कि रोवर प्रज्ञान (Rover Pragyan) ने 100 मिलीमीटर गहरे गड्ढे (100 mm deep pit) को पार करने में सफलता हासिल की है.
चंद्रयान -3 परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल (Director P Veeramuthuvel) ने बताया कि चंद्रयान-3 की अब तक की प्रगति ने अच्छे परिणामों की संभावना के बारे में विश्वास जगाया है. उन्होंने ये भी कहा कि अभी ऐसी कई चुनौतियां आएंगी, जिसके लिए इसरो की ग्राउंड टीम (ground team) को निगरानी जारी रखनी होगी.
रोवर के संचालन में कंट्रोल रूम की भी भूमिका
टीम स्पिरिट का जिक्र करते हुए वीरमुथुवेल ने बताया कि चांद की सतह पर आज जो हो रहा है, इसमें से कुछ भी इसरो के सैकड़ों सहयोगियों और शीर्ष प्रबंधन के मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं होता. उन्होंने ये भी बताया कि रोवर का संचालन पूरी तरह स्वायत्त नहीं था. प्रज्ञान का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना कई चुनौतियां लिए हुए है. इनमें से प्रत्येक को ग्राउंड टीमों की भागीदारी के साथ मिलकर दूर करने की जरूरत होती है.
चंद्रयान-3 ने 3 में से 2 मकसद किए पूरे
इसके पहले शनिवार को इसरो ने बताया था कि चंद्रयान-3 अभियान के जो 3 मकसद थे, उसमें से 2 पूरे हो चुके हैं. इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “चंद्रयान-3 मिशन के तीन उद्देश्यों में से चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग का प्रदर्शन पूरा हुआ. रोवर ने चंद्रमा पर घूमने का प्रदर्शन पूरा किया. अब इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन चल रहा है. सभी पेलोड सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं.”
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