बंगलुरू। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन की सफलता के बाद राजनीतिक गलियारों में इसके श्रेय को लेकर खींचतान चल रही है। सत्ताधारी पार्टी, जहां इसे मौजूदा सरकार (governments ) की उपलब्धि से जोड़कर पेश कर रही है, वहीं विपक्ष इसका श्रेय इसरो (ISRO ) की स्थापना करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी को दे रहा है। इस पूरी बयानबाजी के बीच इसरो को पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन (nambi narayanan) का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह दावा कर रहे हैं कि पहले की सरकारों को तो इसरो पर विश्वास ही नहीं था और बजट का आवंटन भी बेहद सीमित था।
नंबी नारायणन ने कही ये बातें
एक इंटरव्यू के दौरान जब नंबी नारायणन से पूछा गया कि राजनीतिक पार्टियां (political parties) चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का श्रेय लेने में जुटी हैं और इस पर आपका क्या कहना है, तो उन्होंने कहा कि ‘इसरो की शुरुआत में पूर्व की सरकारों की प्राथमिकता में अंतरिक्ष रिसर्च नहीं थी और इसरो को मिलने वाला बजट भी कम था। शुरुआत में रिसर्च के काम के लिए कारें या जीप भी उपलब्ध नहीं थी और सिर्फ एक बस थी, जो शिफ्ट में चला करती थी।’ नंबी नारायणन के दावे के अनुसार पूर्व की सरकारों को इसरो पर विश्वास ही नहीं था।’
‘नेशनल प्रोजेक्ट का श्रेय प्रधानमंत्री को नहीं जाएगा तो किसे जाएगा?’
भाजपा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भी इस इंटरव्यू की क्लिप्स पोस्ट की हैं। साथ ही कैप्शन में लिखा है कि मौजूदा सरकार ने इसरो का बजट बढ़ाया है और यह सरकार वैज्ञानिकों के साथ उनकी सफलता और विफलता में साथ खड़ी रही है। यही वजह है कि भारत के अंतरिक्ष मिशन ने लंबा रास्ता तय किया है। विपक्ष द्वारा पीएम मोदी के चंद्रयान-3 मिशन का श्रेय लेने पर नंबी नारायणन ने कहा कि ‘इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ को मिशन की सफलता का पूरा श्रेय मिला है। साथ ही प्रधानमंत्री को भी इसका श्रेय जाएगा, लेकिन अगर आप प्रधानमंत्री को पसंद नहीं करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप उन्हें श्रेय नहीं देंगे। एक नेशनल प्रोजेक्ट का श्रेय प्रधानमंत्री को नहीं जाएगा तो किसे जाएगा?’
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