– संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के साथ संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल हुए राज्यपाल
भोपाल (Bhopal)। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) ने कहा कि भारतीय चिंतन परंपरा (Indian thought tradition) में कलाओं व संस्कृति (arts and culture) का उद्देश्य केवल मनोरंजन मात्र नहीं, समाज और राष्ट्र निर्माण में सहभागी होना भी है। जीवन में संगीत का बड़ा महत्व (great importance of music in life) है। संगीत मन को तरंगित कर देता है। आप कितने भी गहने तनाव व थकावट से भरे हों, यदि कोई अच्छा सुर सुनाई दे जाए तो मन को बड़ा सुकून मिलता है। इसका प्रत्यक्ष अनुभव यहाँ हो रहा है।
राज्यपाल पटेल रविवार को ग्वालियर में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के साथ संवाद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। कार्यक्रम में सांसद विवेक नारायण शेजवलकर बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद थे। इस अवसर पर राज्यपाल पटेल ने विश्वविद्यालय परिसर में चित्रकला-मूर्तिकला विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। साथ ही विश्विद्यालय की विवरणिका का विमोचन किया। इस अवसर पर गायन विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तु सरस्वती वंदना, विश्वविद्यालय का कुलगीत और घर-घर तिरंगा और जनजातीय गीत की सुमधुर संगीतमय प्रस्तुति सुनकर राज्यपाल सहित सभी अतिथि मंत्रमुग्ध हो गए।
संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर ने देश को बहुमूल्य रत्न दिए हैं
राज्यपाल पटेल ने कहा कि संगीत की नगरी ग्वालियर सहित मध्यप्रदेश की समूची धरती ने देश को ज्ञान, कला व संगीत के बहुमूल्य रत्न दिए हैं। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर घराना विशिष्ट स्थान रखता है। यहाँ की गायन शैली व ध्रुपद गायकी में अष्टांग गायकी का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। खुशी और गर्व की बात है कि प्रदेश सरकार ने महान कला पोषक व साधकों की स्मृति में ग्वालियर की धरती पर राजा मानसिंह तोमर के नाम से संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की स्थापना की है। राजा मानसिंह तोमर का नाम कला एवं संगीत के संरक्षक के तौर पर इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। खुशी की बात है कि विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को और शोधार्थियों को संगीत एवं कलाओं में पारंगत करने के साथ-साथ रोजगारपरक शिक्षा भी दी जा रही है।
राज्यपाल ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा जनजाति जनसंख्या का घर होने के कारण मध्यप्रदेश में संस्कृति और परंपराओं का भरा-पूरा संसार है। जिसमें जनजाति कला और संगीत भी विभिन्न परंपराओं और प्रथाओं के माध्यम से आज भी जीवंत है।
संस्कृति का आइना होती है कलाः शेजवलकर
सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि कला वास्तव में संस्कृति का आइना होती है। कहा जाता है कि आत्मा का रूप रस में और रस में ही आनंद है। उन्होंने कहा कि अत्यंत गौरव की बात है कि मध्यप्रदेश सरकार ने एक ही दिन ग्वालियर में कृषि विश्वविद्यालय और संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। उन्होंने विश्वविद्यालय की उत्तरोत्तर विकास की कामना इस अवसर पर की।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर ने स्वागत उदबोधन दिया। साथ ही विश्वविद्यालय का संक्षिप्त प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और अब तक हुए विकास कार्यों व उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
बंदियों के लिये विश्वविद्यालय शुरू करेगा “बंधु सांस्कृतिक कौशल विकास” कोर्स
राज्यपाल पटेल के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुए कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रो. राकेश सिंह कुशवाह ने जानकारी दी कि केन्द्रीय जेल के प्रस्ताव के आधार पर जल्द ही संगीत एवं कला विश्वविद्यालय बंदियों के लिये “बंधु सांस्कृतिक कौशल विकास” कोर्स शुरू करेगा। यह सर्टिफिकेट कोर्स छ: माह का होगा। इसके माध्यम से महिला-पुरूष बंदियों का मानसिक विकास तो होगा ही, साथ ही उन्हें रोजगार के भी अवसर मिलेंगे।
जनजाति सैला नृत्य एवं अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने किया मंत्रमुग्ध राज्यपाल
मंगुभाई पटेल के आगमन अवसर पर विश्वविद्यालय की छात्राओं ने गौंड आदिवासी लोक नृत्य सैला की मनमोहक प्रस्तुति दी। विभागाध्यक्ष डॉ. अंजना झा के मार्गदर्शन में शरद ऋतु की चाँदनी में किए जाने वाले इस नृत्य को छात्राओं ने बड़े रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष करवड़े द्वारा लिखित, स्वरबद्ध व निर्देशित देशभक्ति गीत “हर घर तिरंगा लहराए” गीत की प्रस्तुति भी लाजवाब रही। इसके बाद छत्तीसगढ़ी लोकगीत सुनाकर राज्यपाल पटेल सहित सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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