नई दिल्ली। यदि आप भी आगामी त्योहारी सीजन (festive season) में किसी वस्तु को खरीदने के लिए छोटा लोन (Loan) लेने की योजना बना रहे हैं तो आपको ज्यादा ब्याज (Interest) चुकाना पड़ सकता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने संकेत दिया है कि यदि महंगाई (Dearness) नियंत्रण में नहीं आती है तो इसे काबू में करने के लिए बैंक (Bank) दरों में बढ़ोतरी की जा सकती है। यदि ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर होम लोन या छोटे कर्ज पर पड़ सकता है और पहले से चली आ रही ईएमआई (EMI) में बढ़ोतरी हो सकती है।
30-31 अगस्त को रक्षाबंधन के साथ ही देश में त्योहारों के सीजन की शुरुआत हो जाएगी। इसके बाद नवरात्रि, दशहरा और दीपावली के त्योहार आएंगे जो व्यापार के लिहाज से सबसे तेजी के दिन माने जाते हैं। इस दौरान अपने करीबी लोगों को उपहार देने के लिए लोग वस्तुओं की खरीद करते हैं, या इन्हें किस्तों पर लेते हैं। ऐसी वस्तुओं में मोबाइल, टीवी, फ्रिज, मोटरसाइकिल या लैपटॉप जैसी चीजें ज्यादा होती हैं। इस बार इन चीजों की खरीद पर आपको ज्यादा ब्याज चुकानी पड़ सकती है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एमपीसी की पिछली मीटिंग के बाद रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर ही रखने का निर्णय किया था। इसे लोगों पर ईएमआई की मार और ज्यादा न बढ़ाने वाला निर्णय माना गया था। लेकिन जिस तरह खुदरा महंगाई की दर में तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है, आरबीआई को एक बार फिर रेपो दरों को लेकर कड़ा निर्णय करना पड़ सकता है।
अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.79 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इसके बाद आरबीआई ने रेपो दरों के जरिए इसे नियंत्रित करना शुरू किया और इसका परिणाम रहा कि खुदरा महंगाई दर छः प्रतिशत के करीब आ गई। लेकिन एक बार फिर खुदरा महंगाई दर बढ़ने से परेशानी बढ़ गई है।
आदित्य बिरला फाइनेंस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश सिंह ने कहा कि त्योहारी सीजन में सामान्य दिनों की तुलना में छोटा कर्ज लेने की संख्या तीन गुना से भी ज्यादा हो जाती है। शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ अब ग्रामीण इलाकों में भी छोटा कर्ज लेने का चलन बढ़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी अब लक्जरी आइटम की खरीद बढ़ रही है जिससे इन इलाकों में भी छोटे कर्ज की मांग बढ़ रही है।
चूंकि, यह असुरक्षित लोन कैटेगरी में आता है, कंपनियां बेहद नाममात्र के कागजों पर ही ये लोन उपभोक्ताओं को उपलब्ध करा देती हैं। इसकी ब्याज दर 16 प्रतिशत से लेकर 36 प्रतिशत तक हो सकता है। ब्याज की प्रकृति ईएमआई पर ली जा रही वस्तु, लोन की समयावधि और कर्ज लेने वाले उपभोक्ता की क्षमता देखकर तय की जाती है।
लेकिन अब तक का अनुभव बताता है कि छोटा लोन होने के कारण इस तरह के कर्ज के चुकाने की दर बहुत ज्यादा होती है और बहुत कम मामलों में फाइनेंस कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यदि महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई बैंक दरों में वृद्धि करता है तो उपभोक्ताओं को कुछ ज्यादा ईएमआई चुकानी पड़ सकती है।
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