नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को कर्नाटक के बांधों से (From Karnataka Dams) कावेरी जल छोड़ने की मांग को लेकर (Seeking Release of Cauvery Water) तमिलनाडु द्वारा दायर याचिका पर (On Plea filed by Tamil Nadu) अंतरिम निर्देश (Interim Direction) देने से इनकार कर दिया (Refused to Pass) ।
न्यायमूर्ति बी.आर.गवई, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सीडब्ल्यूएमए (कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण) से 1 सितंबर तक रिपोर्ट मांगी है। पीठ ने आदेश दिया, “हमारे पास इस मामले में कोई विशेषज्ञता नहीं है, यह उचित होगा कि सीडब्ल्यूएमए अपनी रिपोर्ट सौंपे कि पानी छोड़ेे जाने के निर्देशों का पालन किया गया है या नहीं।”
अपने आवेदन में, तमिलनाडु ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा संशोधित कावेरी ट्रिब्यूनल के फैसले के अनुसार अगस्त और सितंबर के लिए पानी की निर्धारित रिलीज सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष अदालत से कर्नाटक को निर्देश देने की मांग की है।
दूसरी ओर, कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कावेरी नदी से पानी छोड़ने की मांग करने वाली तमिलनाडु की अर्जी पूरी तरह से गलत है, क्योंकि यह गलत धारणा पर आधारित है कि यह जल वर्ष एक सामान्य जल वर्ष है न कि संकटग्रस्त जल वर्ष।
राज्य के जल संसाधन विभाग द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया है कि कर्नाटक सामान्य वर्ष के लिए निर्धारित पानी सुनिश्चित करने के लिए बाध्य नहीं है, क्योंकि दक्षिण पश्चिम मानसून की विफलता के कारण कावेरी बेसिन में संकट की स्थिति पैदा हो गई है।
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