नई दिल्ली: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चंद्रमा पर दस्तक दे चुका है. प्रोपल्शन मॉड्यूल (propulsion module), विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, तीनों ठीक से काम कर रहे हैं. देश, अंतरिक्ष में कई देशों को पीछे छोड़ चुका है. प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover), चांद की सतह पर छाप छोड़ रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) चीफ एस सोमनाथ (S Somnath) ने कहा है कि चंद्रयान-3, भारतीय तकनीक के आधार पर काम कर रहा है. चंद्रयान-2 की गलतियों में किया सुधार किया गया है.
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा है, ‘प्रज्ञान रोवर के पास दो उपकरण हैं, दोनों चंद्रमा पर मौलिक संरचना के निष्कर्षों के साथ-साथ रसायनिक संरचनाओं से संबंधित हैं. इसके अलावा, यह सतह पर चक्कर लगाएगा. हम एक रोबोटिक पथ नियोजन अभ्यास भी करेंगे जो हमारे लिए भविष्य के अन्वेषणों के लिए महत्वपूर्ण है.’
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा, ‘हम दक्षिणी ध्रुव के करीब चले गए जो लगभग 70 डिग्री है. सूर्य द्वारा कम प्रकाशित होने के संबंध में दक्षिणी ध्रुव को एक विशिष्ट लाभ है. चंद्रमा पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने दक्षिणी ध्रुव में बहुत रुचि दिखाई क्योंकि अंततः मनुष्य वहां जाकर उपनिवेश बनाना चाहते हैं और फिर उससे आगे की यात्रा करना चाहते हैं. इसलिए हम सबसे अच्छी जगह की तलाश कर रहे हैं और दक्षिणी ध्रुव में वह क्षमता है.’
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा, ‘सूर्य के लिए आदित्य मिशन सितंबर में लॉन्च के लिए तैयार हो रहा है. गगनयान पर अभी भी काम चल रहा है. हम क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए संभवतः सितंबर या अक्टूबर के अंत तक एक मिशन करेंगे, जिसके बाद कई परीक्षण मिशन होंगे जब तक कि हम संभवतः 2025 तक पहला मानव मिशन नहीं कर लेते. उन्होंने कहा, ‘मन पर क्या बीती, इसका वर्णन करना बहुत कठिन है. यह खुशी हो सकती है, यह उपलब्धि का सार हो सकता है और योगदान देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देना हो सकता है.’
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved