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    चंद्रयान-3: इसरो ने AI आधारित सेंसरों की भूमिका का किया उपयोग, बेहद जटिल परिस्थितियों में मिली मदद

  • August 24, 2023

     

    नई दिल्‍ली (New Dehli) । चंद्रमा (moon) के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 का बिना किसी बाधा के उतरना मानव (human) की ऐतिहासिक जीत का प्रतीक (Sign) है। चंद्रमा पर इससे पहले भले ही तीन देश (Country )कदम रख चुके हैं, लेकिन दक्षिणी ध्रुव (south pole) तक पहुंचने वाले हम पहले हैं। इस सफलता के साथ अंतरिक्ष में मानवीय खोज ने नई बुलंदियों को छू लिया है। भारत का रोवर प्रज्ञान जब यहां के रहस्यों को सुलझाने में मदद करेगा तो भविष्य में संभावनाओं के अनंत द्वार खुल जाएंगे। सॉफ्ट लैंडिंग कामयाब होते ही पूरे देश में जश्न का माहौल रहा। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में स्कूली बच्चों को चंद्रयान के सीधे प्रसारण को दिखाने की व्यवस्था की गई थी।


    चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद जहां इसरो के वैज्ञानिकों के तकनीकी कौशल की दुनिया भर में वाहवाही हो रही है, वहीं इसरो द्वारा उपलब्ध तकनीकों के शानदार ढंग से उपयोग को भी सराहा जा रहा है। इसरो ने चंद्रयान को चंद्र सतह पर उतारने के दौरान आए जटिल चरणों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को बुनियादी भूमिका में रखा। इसके जरिये यान को हालात के अनुसार ढलने और मौके पर निर्णय लेने की क्षमता मिली।

    लैंडर मॉड्यूल की सेहत, टेलीमेट्री डाटा और बाकी हालात अनुकूल मिलने पर इसरो ने मॉड्यूल को लैंडिंग के लिए बुधवार शाम निर्धारित किए गए समय से ठीक दो घंटे पहले अपने निर्देश भेज दिए थे। इसके बाद विक्रम में मौजूद आधुनिक एआई तकनीक ने इसके ‘ऑटोमेटिक लैंडिंग सीक्वेंस’ (एएलएस) को शुरू किया। यह प्रक्रिया लैंडर को निर्धारित लैंडिंग स्थल की ओर ले गई। चंद्रयान-2 की लैंडिंग की विफलता को देखते हुए ऐसा किया गया। माना जा रहा था कि चंद्रयान-3 को ऐसे हालात देखने पड़ सकते हैं, जिनका अनुमान शायद वैज्ञानिकों को पहले से न हो।

    एआई आधारित सेंसरों की भूमिका

    लैंडर की स्थिति, गति, झुकाव को एआई आधारित सेंसरों के जरिये संभाला गया। यह सेंसर एक समूह में काम करते हैं।
    वेगमान-मापक और ऊंचाई-मापक यंत्रों से जुड़े सेंसरों ने लैंडर की गति व ऊंचाई को मापने में मदद की।
    कैमरा में भी यह सेंसर थे, जिन्होंने खतरे को समय रहते भांपने में मदद की।
    गति या ऊर्जा शून्यता आधारित कैमरों से कई जरूरी तस्वीरें ली गईं।
    कंप्यूटर अल्गोरिदम जिसने समझाईं जानकारियां
    सेंसरों से मिले डाटा को कंप्यूटर के जटिल अल्गोरिदम के जरिए प्रोसेस किया गया। इससे लैंडर की लोकेशन की बेहद सधी तस्वीरें तैयार की गईं। इसरो द्वारा लैंडिंग के सीधे प्रसारण के दौरान यही तस्वीरें और डाटा पूरी दुनिया देख रही थी। न केवल वैज्ञानिक, बल्कि थोड़ी बहुत समझ रखने वाले करोड़ों आम नागरिक भी अपने टीवी, मोबाइल फोन व अन्य डिवाइस की स्क्रीनों पर इसके जरिए जान पा रहे थे कि किस समय विक्रम लैंडर का वेग कितना घटा, चंद्र सतह से ऊंचाई कितनी रह गई है।

    ये अहम निर्णय लैंडर के थे
    चंद्रयान 3 में दिशा निर्धारण, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणालियां लैंडर विक्रम में ही डाली गई थीं। इसी के जरिए जटिल नेटवर्क आधारित कंप्यूटर ने लैंडर के मूवमेंट और प्रक्षेपवक्र को लेकर निर्णय लिए। परिणाम, एक सुरक्षित लैंडिंग के रूप में सामने आया।

    अब मंगल ग्रह पर जाएंगे
    ऐतिहासिक सफलता के बाद अभियान के संचालन परिसर में दिए वक्तव्य में इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि इसरो आने वाले वर्षों में मंगल ग्रह पर भी भारत का अंतरिक्ष यान उतारेगा। उन्होंने चंद्रयान 3 की सफलता के लिए इससे जुड़े वैज्ञानिकों द्वारा भोगे ‘दर्द’ को श्रेय दिया। बताया, इसरो की एक पूरी पीढ़ी के नेतृत्वकर्ता और वैज्ञानिक इस सफलता के पीछे हैं।

    सोमनाथ ने कहा ‘चंद्रयान-3 की सफलता ने हमें आत्मविश्वास दिया कि अब ऐसा ही एक और अभियान न केवल चंद्रमा पर जाने के लिए, बल्कि मंगल ग्रह पर जाने के लिए भी बनाएं। हम किसी समय में मंगल पर उतरेंगे… और भविष्य में शुक्र ग्रह व अन्य ग्रहों पर भी। यह सफलता बहुत बड़ी है, हमें आगे बढ़ाने वाली है।’ पीएम मोदी का आभार जताते हुए सोमनाथ ने कहा, ‘चंद्रयान-3 व इस जैसे भावी अभियानों को उन्होंने सहयोग दिया है। देश में हम जो काम कर रहे हैं, उसके लिए उनके शब्द सुखद हैं।’ भले ही कितनी भी तकनीकी प्रगति हम कर चुके हों, लेकिन यह अभियान किसी भी देश के लिए कठिन है, सॉफ्ट लैंडिंग तो और भी कठिन। भारत ने महज दूसरे प्रयास में यह सफलता पाई है।

    इनका भी योगदान
    मोहाली स्थित सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल), एमईआईटीवाई ने एलवीएम-3 लॉन्च वाहन नेविगेशन के लिए विक्रम प्रोसेसर और विक्रम लैंडर इमेजर कैमरे के लिए सीएमओएस कैमरा कॉन्फिगरेटर बनाया। स्वदेशी रूप से विकसित विक्रम प्रोसेसर और इमेज कॉन्फिगरेटर को भी सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला, मोहाली में डिजाइन और निर्मित किया गया है, जो सफल चंद्रयान-3 का हिस्सा हैं।

    सफलता में 100 महिला वैज्ञानिकों का भी योगदान
    चंद्रयान 3 की सफलता में इसरो के तमाम वैज्ञानिकों और स्टाफ के साथ-साथ 100 महिला वैज्ञानिकों और स्टाफ ने भी योगदान दिया। इसरो ने चंद्रयान 3 मिशन को लेकर जारी विस्तृत जानकारी में इसका उल्लेख किया है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान 3 अभियान की परिकल्पना, उसे डिजाइन करने, आकार देने, परीक्षण करने और अभियान को क्रियान्वित करने में इन 100 महिलाओं की भी भूमिका रही। इनके द्वारा अंजाम दिए गए कामों ने लैंडर की दिशा निर्धारित करने और उसे चंद्र सतह पर उतारते समय केंद्रीय भूमिका निभाई। कई क्षेत्रों में इन महिलाओं ने नेतृत्व भी प्रदान किया।

    इन क्षेत्रों में निभाई भूमिका

    चंद्रयान 3 का कंफीग्रेशन, इसे आकार में ढालना व टीम प्रबंधन
    यान की असेंबलिंग, एकीकरण और परीक्षण
    अभियान के कार्यों के लिए अनुभाग बनाना और क्रियान्वयन
    लैंडर की दिशा निर्धारण प्रणाली और नियंत्रण के सिमुलेशन पूरे करना, ताकि लैंडर की स्वायत्त व सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग हो सके।
    लेजर अल्टीमीटर (ऊंचाई मापक), लेजर डॉपलर व लैंडर के क्षैतिज वेगमान कैमरे के लिए अहम सेंसर विकसित करना। इन सभी ने लैंडर की दिशा निर्धारित करने और उसे चंद्र सतह पर उतारते समय केंद्रीय भूमिका निभाई

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