कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने कहा कि दहेज (Dowry) जैसी बुराई को समाज (Society) से खत्म करने के लिए आईपीसी (IPC) की धारा 498ए को लाया गया था, लेकिन इसके गलत इस्तेमाल ने कानूनी आतंकवाद (legal terrorism) को बढ़ा दिया है।
न्यायाधीश सुभेंदु सामंत ने सोमवार को सुनवाई के दौरान एक महिला की उसके ससुराल पक्ष के खिलाफ याचिका रद्द करते हुए कहा, इसे महिलाओं के कल्याण के लिए लाए थे, लेकिन अब इसके झूठे मामले ज्यादा आ रहे हैं। इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है।
मामले का आधार यह है कि एक पड़ोसी ने पति-पत्नी के झगड़े के बारे में सुना है बस। दो व्यक्तियों के झगड़े का मतलब यह नहीं है कि कौन हमलावर था या कौन पीड़ित। दहेज प्रथा का मामला केवल निजी दुश्मनी निकालने के लिए लगाया गया है।
पति पर लगाए थे मानसिक और शारीरिक क्रूरता के आरोप : महिला ने पहले पति के खिलाफ मानसिक और शारीरिक क्रूरता का आरोप लगाए थे, लेकिन अदालत ने इन्हें काफी नहीं माना। इसके बाद महिला ने पति के परिजनों का नाम लेते हुए उन पर क्रूरता करने और यातना देने का आरोप लगाया।
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