जयपुर (Jaipur) । राजस्थान (Rajasthan) के रण में इस बार कांग्रेस (Congress) को रिवाज बदलने का भरोसा है। सत्ता बरकरार रखने के लिए पार्टी ताबड़तोड़ वादे कर रही है। पार्टी एकजुट होकर समाज के हर तबके तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। पार्टी का कहना है कि अपनी योजनाओं के जरिए प्रदेश सरकार ने समाज के हर तबके को छूने की कोशिश की है। वहीं, इस बार सरकार के खिलाफ माहौल नहीं है।
कर्नाटक मॉडल पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस
मिशन सरकार रिपीट के तहत कांग्रेस कर्नाटक मॉडल पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरेगी, पर पूरी चुनाव रणनीति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार की योजनाओं और चुनावी वादों के इर्द-गिर्द रहेगी। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, राजस्थान में सरकार के खिलाफ कोई माहौल नहीं है। वहीं, भाजपा में नेतृत्व को लेकर झगड़ा है।
पार्टी प्रत्याशियों के चयन को लेकर सतर्क
कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि कुछ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों का चयन अहम भूमिका निभाएगा। इसलिए, पार्टी प्रत्याशियों के चयन को लेकर सतर्क है। पार्टी अलग-अलग एजेंसियों सर्वे करा रही है। इसके साथ पर्यवेक्षकों के जरिए भी फीडबैक ले रही है। प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट और फीडबैक को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार तय किए जाएंगे।
छात्रसंघ चुनाव टालना भी कांग्रेस की रणनीति
राजस्थान में छात्रसंघ के चुनाव टालने को भी कांग्रेस की चुनाव रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि, विश्वविद्यालय और कॉलेजों में जिस पार्टी के छात्रसंघ चुनाव में जीत होती है, वही पार्टी सरकार बनाती है। ऐसे में छात्र संघ के चुनाव परिणाम पार्टी के छात्र संघ एनएसयूआई के पक्ष में नहीं आते, तो इससे विधानसभा में पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता था। वहीं, भाजपा को मौका मिल जाता।
पांच साल पर प्रदेश की सरकार बदलने का रिवाज
राजस्थान में 1993 के बाद से हर पांच साल पर प्रदेश की सरकार बदलने का रिवाज है। समाज के हर वर्ग तक पहुंचने की रणनीति के तहत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने रणनीति के तहत कई कल्याण बोर्ड का गठन किया है। इसके साथ ही गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण की जयंती पर अवकाश की घोषणा शामिल है। पार्टी बिजली बिल में कमी, कम कीमत पर रसोई गैस सिलेंडर और दूसरी कल्याणकारी योजनाओं के आधार पर लोगों का भरोसा जीतने की कोशिश कर रही है। ताकि, राजस्थान के रण का रिवाज बदल सके।
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