वर्तमान और पूर्व सांसद-विधायकों की भी इंट्री रहेगी कार्यसमिति में
इन्दौर। आज ग्वालियर में हो रही भाजपा (BJP) की विस्तारित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इस बार कई ऐसे पदाधिकारियों (office bearers) को भी बुलाया गया है, जो कभी कार्यसमिति का हिस्सा नहीं होते थे। यही नहीं प्रत्येक विधानसभा से 5-5 ऐसे लोग भी भेजे गए हैं जो चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कल दोपहर से ही इंदौर के नेता कार्यसमिति की बैठक के लिए इंदौर से ग्वालियर रवाना हो गए थे, जहां आज दोपहर में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में विस्तारित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होना है। इसे विस्तारित नाम इसलिए दिया गया है कि इसमें कई ऐसे पदाधिकारियों को बुलाया गया है, जो इसमें अपेक्षित नहीं होते थे। वर्तमान सांसद और विधायकों के साथ-साथ पूर्व विधायक और सांसदों को भी बैठक में बुलाया गया है तो पूर्व जिलाध्यक्षों को भी बैठक मे आमंत्रित किया गया है। विधानसभा चुनाव की दृष्टि से इस बैठक को अहम माना जा रहा है। वहीं चुनाव के पहले यह आखरी बैठक भी मानी जा रही है। इस बैठक में प्रत्येक विधानसभा से वर्तमान और पूर्व वरिष्ठ पार्षदों को भी बुलाया गया है। इस केटेगरी को भी पहली बार बैठक में जोड़ा गया है। माना जा रहा है कि बैठक में अमित शाह आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति का खुलासा करेंगे और बताएंगे कि किस तरह से चुनाव के पहले काम करना है। इसके साथ ही कुछ नई योजनाओं पर काम करने के निर्देश भी शाह देंगे, जिससे चुनाव में फायदा हो। बैठक में भाग लेने प्रदेश प्रभारी, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan, State President VD Sharma) आदि भोपाल पहुंच चुके हैं।
इन्हें भी बुलाया विस्तारित कार्यसमिति में
लोकसभा और राज्यसभा के सांसद, विधायक, महापौर एवं नगर निगम अध्यक्ष, जिला पंचायत और निगम, मंडल तथा प्राधिकरण के अध्यक्ष, जिला प्रभारी भाजपा, जिला अध्यक्ष, जिला महामंत्री, मोर्चा एवं प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री, पूर्व जिलाध्यक्ष, जिला प्रबंध समिति संयोजक, विधानसभा संयोजक, विस्तारक, आकांक्षी विधानसभा प्रभारी, पूर्व महापौर, पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक।
जबलपुर और इंदौर के बाद ग्वालियर महत्वपूर्ण
ग्वालियर में विस्तारित कार्यसमिति की बैठक रखने के पीछे भाजपा इस क्षेत्र में अपनी स्थिति भी जांचना चाहती है। पिछली बार ग्वालियर-चंबल संभाग में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था। यह बैठक भोपाल में भी आयोजित की जा सकती थी, लेकिन भोपाल में शाह कई बार आ चुके हैं और उनका जबलपुर तथा इंदौर दौरा भी हो चुका है, इसलिए अब बड़े संभाग के रूप में ग्वालियर को चुना गया।
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