जिंदगी लॉजिक का नहीं, मैजिक (Magic) का खेल है! यही सार है आर. बाल्कि की नई फिल्म घूमर का। आर. बाल्कि इसके पहले भी लीक से हटकर जबरदस्त फिल्में (Film) बना चुके हैं, जैसे पा और चीनी कम, और यह फिल्म भी एकदम नए विषय पर बनी है। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन और शबाना आजमी ने तो जबरदस्त अभिनय किया ही है, नए कलाकारों ने भी जी जान लगा दी है। अगर आप जिंदगी में जुनून और जुझारूपन की मिसाल देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपको आगे बढऩे की प्रेरणा देती रहेगी और बताती रहेगी कि हार कभी भी नहीं माननी चाहिए। फिल्म के जबरदस्त डायलॉग (dialogue) इसकी खूबी है।
घूमर एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म (sports drama film) है। फिल्म ऐसी खिलाड़ी पर केंद्रित है, जो क्रिकेट की दुनिया में नाम कमाना चाहती है, लेकिन हालात एकदम विपरीत हैं। एक महिला क्रिकेटर है, जो इंटरनेशनल क्रिकेट में शामिल होने के पहले ही एक्सीडेंट में अपना दाहिना हाथ खो देती है। वह दाहिना हाथ, जिसके बिना क्रिकेट में बैटिंग की ही नहीं जा सकती। ऐसे हालत में भी वह क्रिकेट खेलना चाहती है और इंटरनेशनल महिला क्रिकेट में नाम कमाना चाहती है। लोग उसको हतोत्साहित करते हैं, फिकरे कसते हैं, मज़ाक भी बनाते हैं, घरवाले भी सहयोग नहीं करते, क्रिकेट की अंदरूनी राजनीति भी उसे अक्षम साबित करने पर तुली होती है। ऐसे में उसकी मदद करते हैं पदम सिंह सोढ़ी यानी पैडी सर। पैडी एक पुराने क्रिकेट खिलाड़ी और कोच हैं और वे महिला क्रिकेटर को न केवल उसका खोया हुआ आत्मविश्वास वापस दिलाते हैं, बल्कि उसके सपने को भी पूरा करने में मदद करते हैं। इस फिल्म में विश्वास, भरोसा, कड़ी मेहनत और क्रिकेट के प्रति बेपनाह प्रेम दिखाया गया है।
इस फिल्म में नयापन है। शबाना आज़मी ने महिला क्रिकेटर दादी की भूमिका की है। वे एक स्वतंत्र महिला के रूप में इस फिल्म में हैं, जो अपनी पोती को बढ़ावा देती रहती हैं। खिलाड़ी के पिता को भी सहयोगी के रूप में दिखाया गया है, लेकिन हालात ऐसे होते हैं कि परिवार में ही उसे सहयोग नहीं मिलता। क्रिकेट के मैदान से शुरू हुई फिल्म अंत में जाकर एक सुखांत मोड़ पर पहुंचती है। फिल्म का संगीत मधुर है और चुभता नहीं है। फिल्म का यह डायलॉग सुनकर दर्शक तालियां पीटते हैं कि जिंदगी अगर आपके मुंह पर दरवाजा मारे ना, तो दरवाजा खोलते नहीं हैं, तोड़ते हैं। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन ने जबरदस्त काम किया है। यह उनके अभिनय कैरियर की सबसे अच्छी फिल्म है। सयामी खेर ने क्रिकेटर के रूप में बहुत साकार अभिनय किया है, वह खुद भी क्रिकेट के खिलाड़ी रही हैं, इसलिए उन्हें यह भूमिका मिली होगी। इस फिल्म के वन लाइनर जोरदार हैं। फिल्म बार-बार आपको हंसाती है या भावुक कर देती है। आम फिल्मों से अलग हटकर है यह फिल्म। इसको देखने के लिए अलग तरह का मूड होना चाहिए।
डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
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