• img-fluid

    Exposure :जांच में रेलवे ट्रैक की सेंसर मशीनों में बड़ा फॉल्ट, इंजीनियरों ने दी चेतावनी

  • August 18, 2023

    नई दिल्‍ली (New Delhi)। उड़ीसा में हुई रेल दुर्घटना के बाद से भारतीय रेलवे बोर्ड (Indian Railway Board) कई प्रकार की जांच करवा रहा है। जिसमें रेलवे ट्रैक (railway track) के काम में इस्तेमाल की जाने वाली एक सेंसर मशीन (sensor machine) में खामियां मिली हैं। इस मशीन को रेलवे ने अपनी डिजाइन और मानक इकाई आरडीएसओ (Research Design and Standards Organization) द्वारा अनुमोदित विशिष्टताओं के अनुसार चालू किया था और फिर अधिकारियों ने इसका परीक्षण किया जिसके बाद बताया कि इस मशीन में खामियां हैं।

    उन्होंने कहा कि यदि इकाइयों को वापस नहीं लिया गया तो खराब इकाइयों के कारण बालासोर जैसी घटना हो सकती है। अधिकारियों ने कहा कि एमएसडीएसी प्रणाली की लगभग 4,000 इकाइयां रेलवे द्वारा पांच लाख रुपये प्रति यूनिट की लागत से खरीदी गई हैं और परीक्षण के हिस्से के रूप में उनका परीक्षण किया जा रहा है। बड़ी बात ये है कि सात जोन में 3000 इकाइयाँ पहले से ही मौजूद हैं।



    बता दें कि एमएसडीएसी (मल्टी सेक्शन एक्सल काउंटर) एक प्रणाली है जिसका उपयोग रेलवे सिग्नलिंग में दो बिंदुओं के बीच ट्रैक के एक खंड की स्पष्ट स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। सिस्टम में आम तौर पर एक व्हील सेंसर (सेक्शन के प्रत्येक छोर के लिए एक) और सेक्शन के अंदर और बाहर ट्रेन के एक्सल की गिनती के लिए एक मूल्यांकन इकाई होती है। यह मूल रूप से स्टेशन मास्टर को बताता है कि ट्रैक ट्रेन की आवाजाही के लिए खाली है या नहीं।
    पिछले एक वर्ष में आरडीएसओ के इंजीनियरों ने इस प्रणाली को लेकर कई चेतावनी दी हैं। साथ ही प्रणाली के निरीक्षण के बाद कई रिपोर्ट केंद्रीय कार्यालयों को सौंपी गई हैं। अब तक, परीक्षण चरण के हिस्से के रूप में पूर्वी रेलवे, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, उत्तर रेलवे, मध्य रेलवे, उत्तर पश्चिम रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे में ऐसी 3,000 संभावित दोषपूर्ण इकाइयाँ पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं।

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिस्टम इतना ख़राब है कि अगर यह किसी धातु के संपर्क में आता है तो सिग्नल भेजता है। कभी-कभी सेंसर ट्रॉली की गतिविधियों का पता लगाते हैं और कभी-कभी नहीं (अप्रत्याशित)। यह भी देखा जाता है कि कभी-कभी ट्रॉली के दो पहिये गुजरते हैं लेकिन सिस्टम केवल एक का ही पता लगाता है।

    रेलवे के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने ट्रेन नियंत्रकों की कमी को लेकर रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है और इन पदों को भरने के लिए उच्च वेतन और भत्ते जैसे उपाय सुझाए हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेन नियंत्रकों का काम सबसे तनावपूर्ण और चुनौतीपूर्ण है साथ ही सुरक्षित और सुचारू ट्रेन संचालन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 2020 में ट्रैफिक अप्रेंटिस की सीधी भर्ती बंद होने के बाद से लगभग सभी रेलवे जोन में सेक्शन कंट्रोलर के पद भरने में दिक्कत आ रही है।

    सीधी भर्ती प्रक्रिया को बंद करने के बाद, रेलवे ने स्टेशन मास्टर (55 फीसदी), गार्ड (10 फीसदी) और ट्रेन क्लर्क (10फीसदी) को पदोन्नत करके नियंत्रकों के 75 फीसदी पदों को भरने का फैसला किया। शेष 25 फीसदी भर्तियां सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से की जानी हैं। पत्र में लिखा है सातवीं सीपीसी (केंद्रीय वेतन आयोग) में स्टेशन मास्टर और सेक्शन कंट्रोलर का प्रारंभिक ग्रेड वेतन एक समान कर दिया गया था। इसके कारण स्टेशन मास्टर वर्ग में ट्रेन कंट्रोलर पद के लिए आवेदन करने में अनिच्छा है।

    Share:

    अगस्त के अंत में आ सकती है कांग्रेस की सूची, प्रत्याशी चयन का 70 प्रतिशत काम पूरा

    Fri Aug 18 , 2023
    नए प्रभारी रणदीप सुरजेवाला की मौजूदगी में नामों पर बनेगी सहमति, 20 अगस्त को भोपाल में बैठक इंदौर। भाजपा (BJP) की तरह कांग्रेस भी जल्द ही अपने उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित कर सकती है। कहा जा रहा है कि प्रत्याशी चयन का काम 70 प्रतिशत पूरा हो चुका है। ये वे सीटें हैं जो […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    गुरुवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved