इंदौर (Indore)। चर्चित भूमाफियाओं की तीन टाउनशिप, फिनिक्स, सेटेलाइट और कालिंदी गोल्ड की जांच जहां हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी कर रही है, वहीं कल आठ महीने से जेल में बंद किसान की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट ने पुलिस-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी कई सवालिया निशान लगाए। वहीं किसान को भी जमानत दी। फिनिक्स में अवैध मुख्त्यारनामे के जरिए 26 भूखंडों को हड़पने का मामला भी जांच में सामने आया था, जिसके चलते प्रशासन ने आधा दर्जन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसमें चिराग शाह भी शामिल रहा। किसान के हस्ताक्षर की जांच भी संभवत: कराई जा सकती है।
किसानों का कहना है कि उनके फर्जी हस्ताक्षर कर इन भूमाफियाओं ने अभिन्यास मंजूर करवा लिए इसी तरह पिछले दिनों हैप्पी धवन ने भी डायरियों के संबंध में यही कहा था कि उसके हस्ताक्षर नहीं है। दरअसल कैलोदहाला स्थित फिनिक्स टाउनशिप में भी बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ां की गई। इसमें एक मामला यह भी आया कि रजिस्ट्री किए गए 26 भूखंडों को सीधे किसान से अवैध मुख्त्यारनामा करवातेे हुए बेच डाला। दरअसल कैलोदहाला के एक दर्जन से अधिक सर्वे नम्बरों पर 100 एकड़ जमीन पर नगर तथा ग्राम निवेश ने अलग-अलग अभिन्यास मंजूर किए।
हाईकोर्ट द्वारा इन तीनों टाउनशिपों की जांच के लिए जो कमेटी गठित की उसने कई तरह की विसंगतियां पकड़ी है। चम्पू , चिराग, हैप्पी तो इन भू-घोटालों में शामिल हैं ही, वहीं इन्होंने किसानों के साथ-साथ जिन लोगों को जमीनें और भूखंड बेचे उन्हें भी मूर्ख बनाया। सर्वे नं. 262/2 पर चिराग ने किसान गजराज सिंह से दीपक अग्रवाल के पक्ष में मुख्त्यारनामा 28.02.2014 को निष्पादित करवाया, जिसके आधार पर अग्रवाल ने अपनी कम्पनी एंजिल इन्फोटेक प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर और अपनी पत्नी के नाम पर इन भूखंडों को अंतरित करवा लिया। प्रशासन ने इस आम मुख्त्यारनामे को अवैध और फर्जी मानते हुए एफआईआर दर्ज करवा दी थी, जिस पर कल हाईकोर्ट ने सवाल भी खड़े किए।
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