पौड़ी गढ़वाल: स्वतंत्रता दिवस की 76वीं वर्षगांठ पर, पौड़ी में एक ऐतिहासिक घटना का आयोजन किया गया, जिसमें 76 ध्वजों को एक साथ फहराया गया, जिससे एक अद्वितीय मील का पत्थर रखा गया. यह अनूठा समागम पहले कभी पौड़ी में आयोजित नहीं किया गया था. पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कांडोलिया मैदान में इस अद्वितीय पहल की संवाददात्री की, जिसमें गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत समेत अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी भी मौजूद थे.
कंडोलिया मैदान में फहराये गये एक साथ 76 ध्वज
स्वतंत्रता दिवस की 76वीं वर्षगांठ पर देश मना रहा है. इस मौके पर पौड़ी के जिलाधिकारी ने कार्ययोजना बनाई, जिसके अनुसार कंडोलिया मैदान में 76 ध्वज फहराए गए. इस ध्वजारोहण में गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत, पौड़ी विधायक राजकुमार पौरी और पौड़ी के जिलाधिकारी आशीष चौहान समेत महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने हिस्सा लिया. सांसद तीरथ सिंह रावत ने कहा कि 76 ध्वजों का एक साथ फहराना गर्व की बात है. उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान करने वाले रणबांकुरों की समर्पणा की याद दिलाई और कहा कि इस अवसर पर देश के असली शेरों को सम्मानित किया जा रहा है, और गुलामी की मानसिकता को मिटाने का काम हो रहा है. उन्होंने देश के विकास की दिशा में प्रगति की बात की और सभी नागरिकों से देश के उत्कर्ष में योगदान करने की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया.
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी हुआ आयोजन
सरोबार कण्डोलिया मैदान में तिरंगे और रंगोलियों के विविध रंगों में लिपटी गई देशभक्ति की अद्वितीय सांस्कृतिक प्रस्तुति ने उन्हें सार्वजनिक समारोह में अत्यंत गरिमा के साथ सम्मानित किया. इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने गीतों के माध्यम से “आ गया आंख में पानी, याद करो कुर्बानी” जैसे प्रेरणादायक शब्दों का प्रयोग करके उपस्थित लोगों को उन महान वीरों के बलिदान और समर्पण के प्रति संवेदनशील बना दिया. इसके अलावा, 13 अगस्त को आयोजित की गई क्रॉस कंट्री दौड़ में अंडर-14 और अंडर-18 आयु वर्ग के बालक-बालिकाओं और ओपन पुरुष-महिला वर्ग के उत्कृष्ट प्रतिभागियों को सम्मानित करके उनकी मेहनत और प्रदर्शन की प्रेरणा दी गई.
वृक्षारोपण कर शहीदों को दी श्रद्वांजली
साथ ही, शहीदो और स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रों पर पुष्प अर्पित करके, इस उपकरण में हमने वृक्षारोपण का भी आयोजन किया. विभिन्न प्रकार के मूल्यवान पौधों को यहां प्लांट किया गया था, जिससे कि हमारे पर्यावरण की सुरक्षा बनी रहे और ये पेड़ शहीदों के बलिदान की स्मृतियों को आत्मसात् करते रहें. इस सफलता के माध्यम से, छात्रों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी अधिक जागरूक किया गया, जिससे कि वे इसके महत्व को समझ सकें और इसे अपने जीवन में अंतर्निहित कर सकें.
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