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पुरखों के पूजन के बाद लालबाग से निकली महारैली

August 09, 2023

  • आज विश्व आदिवासी दिवस
  • पारंपरिक पहनावे व परंपरागत वाद्य के साथ शामिल हुए समाजजन, दोपहर 3 बजे शुभकारज मैरिज गार्डन पर आमसभा भी

इंदौर (Indore)। पारंपरिक रंग-बिरंगा पहनावा… हाथों में परंपरागत वाद्य और उस पर थिरकते युवा और समाजजन… ये नजारा आज लालबाग से निकलने वाली आदिवासी एकता एवं सांस्कृतिक महारैली के वक्त देखने को मिला। आज विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आज विश्व आदिवासी दिवस आयोजन समिति ने इस महारैली का आयोजन किया, जो लालबाग से शुरू हुई। ये रैली दोपहर में राजीव गांधी चौराहा पर शुभकारज गार्डन पर खत्म होगी, जहां आदिवासी समाज के वरिष्ठ आमसभा को संबोधित करेंगे और कई विषयों पर मंथन होगा।

इस आयोजन के लिए आदिवासी समाज ने संयुक्त रूप से विश्व आदिवासी दिवस आयोजन समिति का गठन किया है, जिसने कई दिनों पहले से सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाने के साथ ही इंदौर के हर क्षेत्र में घर-घर जाकर समाज के लोगों को इस महारैली में पारंपरिक पहनावे में शामिल होने का आमंत्रण दिया। नतीजा ये हुआ कि आज सुबह लालबाग में आदिवासी परंपरा और गौरव का अद्भुत नजारा देखने को मिला। इंदौर में रहकर पढऩे वाले हजारों छात्र, विभिन्न आदिवासी संगठन, अधिकारीगण सहित मजदूर वर्ग भी उसी उत्साह के साथ विश्व आदिवासी दिवस के इस जश्न में शामिल हुए। सुबह से ही लालबाग क्षेत्र में मांदल की थाप और बांसुरी की धुन सुनाई देनी लगी थी। महारैली शुरू होने से पहले ही पारंपरिक पहनावे में सजे युवा आदिवासी गीतों और मांदल की थाप पर जमकर थिरके। आदिवासी परंपरानुसार पुरखों के पूजन और आदिवासी नृत्य के बाद महारैली की शुरुआत हुई। उल्लेखनीय है कि इंदौर में 2015 से लगातार समाज इस मौके पर महारैली का आयोजन कर रहा है, जो साल दर साल बड़ा रूप लेती जा रही है। लालबाग से निकलकर विभिन्न मार्गों से होते हुए ये रैली जननायक टंट्या भील चौराहा पर स्थापित टंट्या भील की प्रतिमा का आदिवासी परंपरा से पूजन करने के बाद आगे बढ़ेगी।

इंदौर में लाखों की संख्या में निवासी
विश्व आदिवासी दिवस आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी करण भगत ने बताया कि यहां रहकर पढ़ रहे छात्रों के साथ ही नौकरीपेशा, मजदूर वर्ग सहित अन्य मिलाकर करीब साढ़े तीन लाख की समाज की आबादी इंदौर शहर में निवासरत है। अनुमान के अनुसार, इसमें छात्र ही करीब 75 हजार है। आज महारैली में इंदौर में रहकर पढ़ाई और नौकरी कर रहे युवा भी प्राथमिकता से शामिल हो रहे हैं। युवतियां भी पारंपरिक पहनावे के साथ पारंपरिक गहनों को पहन शामिल हुईं। शहर भी आज इस महारैली से आदिवासी संस्कृति से रूबरू होगा। ये महारैली लालबाग से कलेक्ट्रेट चौराहा, पलसीकर चौराहा, जूनी इंदौर ब्रिज, सिंधी कॉलोनी, टावर चौराहा, जननायक ट्ंटया भील चौराहा होते हुए राजीव गांधी चौराहा स्थित शुभकारज गार्डन पर खत्म होगी। यहां समाज के वरिष्ठ और आदिवासी नेता आमसभा को संबोधित करने के साथ ही आदिवासी संस्कृति, जीवन दर्शन, संवैधानिक प्रावधान, समस्याएं और समाधान सहित कई मुद्दों पर विचार मंथन करेंगे।

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