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    शहर में 392 परिवारों के चिराग लापता, सबसे अधिक बच्चियां

  • August 09, 2023

    सात माह में 34 थानों में 500 बच्चों की गुमशुदगियां दर्ज

    लापता बच्चियों की उम्र मात्र 15 से 16 वर्ष

    इंदौर। यदि किसी परिवार का चिराग गुम हो जाए तो परिवार की क्या स्थिति होती है यह किसी से छुपा नहीं है। ऐसी ही पीड़ा शहर में 392 परिवारों के लोग झेल रहे हैं। करीब सात माह से लापता इन बच्चों का आज तक पता नहीं चला है। परिजन जहां अपने स्तर पर अपने बच्चों की खोज में जुटे हैं, वहीं अब पुलिस (Police) ऑपरेशन मुस्कान (operation smile) चलाकर ऐसे बच्चों की खोज में जुटी है। यह ऑपरेशन पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है।


    इंदौर में हर दिन दो या तीन बच्चों की गुमशुदगियां दर्ज होती है और इतने गंभीर मामले में भी पुलिस कोई खास मशक्कत नहीं करती है। यह इन आंकड़ों से साबित होता है कि इस साल के प्रथम सात माह में शहर के 34 थानों में बच्चों के लापता होने की यूं तो 500 से अधिक गुमशुदगी दर्ज हुई हैं, लेकिन इनमें से 392 बच्चों का अब तक पता नहीं चला है। इनमें सबसे अधिक बच्चियां हैं। बताते हैं कि 70 प्रतिशत बच्चियां लापता हैं। पुलिस का कहना है कि कुछ प्रेम के चक्कर में घर छोडक़र गईं तो कुछ को पुलिस ने दूसरे शहरों से बरामद किया।हालांकि इनमें सबसे अधिक 15 से 16 साल की बच्चियां हैं।


    हर साल दर्ज होती हैं एक हजार से अधिक गुमशुदगी

    पुलिस सूत्रों के अनुसार हर साल 1000 से 1100 के बीच बच्चों के लापता होने की गुमशुदगी शहर के थानों में दर्ज होती है। इनमें से पुलिस 80 प्रतिशत बच्चों को बरामद कर लेती है, लेकिन हर साल लगभग 100 बच्चे नहीं मिल पाते हंै। इनकी खोज का काम लगातार चलता रहता है। कई बार बच्चे गुम होने की रिपोर्ट तो परिजन थाने पर करते हैं, लेकिन उनके मिलने पर सूचना नहीं देते। अभियान के तहत ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें लापता बच्चों के घर पुलिस के पहुंचने पर उनके मिलने की जानकारी मिली है। वहीं कुछ थानों से बच्चों के मिलने की जानकारी नहीं आने से भी यह आंकड़ा 392 का है, जो परिजनों से संपर्क के बाद कम हो जाएगा।

    7 दिन में 20 बच्चे मिले, आईआईएम भी करेगा मदद

    इस संबंध में एडिशनल कमिश्रर राजेश हिंगनकर का कहना है कि 1 अगस्त से शुरू हुए अभियान में एक सप्ताह में 20 बच्चों को ढूंढ लिया गया है। इंदौर शहर से 279 और ग्रामीण क्षेत्र से 113 बच्चे लापता हैं। इस साल इंदौर पुलिस ने बच्चों को ढूंढने के लिए आईआईएम इंदौर के साथ भी एक एमओयू साइन किया है। अब वे बच्चों को आधुनिक तकनीक से ढूंढने में मदद करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर रहे हैं।

    ऑपरेशन मुस्कान चलाकर पुलिस ढूंढ रही लापता बच्चों को

    हर साल पुलिस एक अभियान चलाती है, ताकि ऐसे मामलों पर फोकस कर बच्चों को उनके परिजनों तक पहुंचाया जा सके। इस साल भी पुलिस ने ऑपरेशन मुस्कान शुरू किया है। डीसीपी क्राइम निमिष अग्रवाल ने बताया कि अभियान के तहत थाना स्तर पर बच्चों की तलाश की जा रही है। इसमें कुछ सफलता भी मिल रही है। अब तक 50 से अधिक बच्चों को अभियान के तहत ढूंढकर परिजनों को सौपा गया है।

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