नई दिल्ली। भारत ने हाल के महीनों में सुरक्षा जोखिमों के बारे में चिंताओं के कारण घरेलू सैन्य ड्रोन निर्माताओं को चीन में बने कल-पुर्जों का उपयोग करने से रोक दिया है। समाचार एजेंसी रायटर्स ने चार रक्षा और उद्योग अधिकारियों और दस्तावेजों के हवाले से यह दावा किया है। भारत ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब परमाणु-सशस्त्र पड़ोसी से तनाव के बीच वह सैन्य आधुनिकीकरण पर जोर दे रहा है। इसके तहत मानव रहित क्वाडकॉप्टर, लंबी-टिकाऊ प्रणाली और अन्य स्वायत्त प्लेटफार्मों के अधिक उपयोग की परिकल्पना की गई है।
रक्षा और उद्योग से जुड़ी शख्सियतों ने कहा कि भारतीय सुरक्षा नेतृत्व इस बात से चिंतित है कि ड्रोन के संचार कार्यों, कैमरों, रेडियो ट्रांसमिशन और ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर में चीन निर्मित कल-पुर्जे लगाए जाने से खुफिया सूचनाएं खतरे में पड़ सकती हैं। रायटर्स ने कहा कि दस्तावेजों से पता चलता है कि भारत का यह दृष्टिकोण, 2020 से निगरानी ड्रोन पर चरणबद्ध आयात प्रतिबंधों का पूरक है और इसे सैन्य निविदाओं के माध्यम से लागू किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ड्रोन टेंडरों पर चर्चा करने के लिए फरवरी-मार्च में दो बैठकें आयोजित की गई थी। बैठक में अधिकारियों ने साफ किया कि सैन्य निर्माण में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए उच्च लागत आ सकती है, जिसे हमें स्वीकार करना चाहिए। बता दें, पेंटागन ने चीन में बने ड्रोन और घटकों की खरीदी पर रोक लगा दिया था। अब भारत ने भी फैसला लिया है। वित्त मंत्री सीतारमण ने फरवरी 2023 में वादा करते हुए कहा था कि रक्षा अनुसंधान और विकास के लिए वित्तीय वर्ष के बजट का एक-चौथाई हिस्सा निजी उद्योग पर खर्च किया जाएगा। इससे ड्रोन के उपकरण भारत में ही बनाए जा सकते हैं, जिससे चीन से उपकरण खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी।
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