वाराणसी (Varanasi)। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी परिसर सर्वे (Gyanvapi ASI Survey) का रविवार (6 अगस्त, 2023) को तीसरा दिन है. सुबह 8 बजे सर्वे शुरू हो गया, जो शाम 5 बजे तक चलेगा. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) परिसर में हिंदू चिन्हों को जुटा रहा है. पहले और दूसरे दिन के सर्वे में एएसआई टीम ने हिंदू धर्म चिन्हों (hinduism symbols) को इकट्ठा करके एक जगह स्टोर कर लिया. सर्वे में जीपीआर तकनीक (gpr technology) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ASI ने 5 अगस्त को सर्वे के दूसरे दिन ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वे किया जो शाम 5 बजे तक चला. हिंदू पक्ष के वकील की मानें तो ASI की टीम ने दूसरे दिन मस्जिद परिसर के केंद्रीय गुंबद के हॉल का सर्वे किया और उस जगह की फोटोग्राफी और मैपिंग की. साथ ही सर्वे टीम ने व्यास परिवार के कब्जे वाले तहखाने का भी सर्वे किया।
हिंदू पक्ष का दावा- 4 फीट की मूर्ति मिली
तहखाने के सर्वे को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया कि वहां 4 फीट की मूर्ति मिली. मूर्ति पर कुछ कलाकृतियां हैं. मूर्ति के अलावा 2 फीट का त्रिशूल और 5 कलश भी मिलने का दावा किया गया. साथ ही तहखाने की दीवारों पर कमल के निशान मिलने का हिंदू पक्ष ने दावा किया. हिन्दू पक्ष का कहना है कि सर्वे के दूसरे दिन ज्ञानवापी परिसर की पश्चिमी दीवार पर आधी पशु और आधी देवता की मूर्ति दिखी. तहखाने में भी टूटी-फूटी मूर्तियां और खंभे दिखाई दिए।
पहले दिन के सर्वे में क्या मिला?
4 अगस्त को जुमे की नमाज की वजह से सर्वे सिर्फ 5 घंटे ही हुआ था. सुबह 7 बजे सर्वे शुरू हुआ और 12 बजे बंद कर दिया गया. पहले दिन के सर्वे में ज्यादातर पेपर वर्क ही किया गया. इस दिन टीम ने पूरे परिसर का डिजाइन तैयार किया और दीवारों एवं आसपास के क्षेत्र से साक्ष्य इकट्टा किए. परिसर में मौजूद तीनों गुंबदों के नीचे और तहखानों के सर्वे की रूपरेखा तैयार की गई. हिंदू स्मृति चिन्हों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई।
मुस्लिम पक्ष के 5 लोग भी सर्वे में शामिल
एएसआई की 51 सदस्यों की टीम के अलावा, 16 लोगों को सर्वे में शामिल होने की इजाजत है, जिनमें 9 लोग मुस्लिम पक्ष के और 7 लोग हिंदू पक्ष के हैं. हालांकि, सर्वे के पहले दिन मुस्लिम पक्ष शामिल नहीं हुआ था, लेकिन दूसरे दिन के सर्वे में 5 लोग थे. 3 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की बेंच ने सर्वे की इजाजत दी थी. मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन मुस्लिम पक्ष को वहां भी झटका लगा और कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
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