नई दिल्ली (New Delhi)। संसद (Parliament) के उच्च सदन राज्यसभा (Upper House Rajya Sabha) में पिछले 11 दिनों से चल रहे गतिरोध के टूटने के आसार दिख रहे हैं। विपक्ष ने सदन की रार को खत्म करने के लिए नया प्रस्ताव (new offer) दिया है। इसमें कांग्रेस समेत संयुक्त विपक्ष 267 के तहत चर्चा कराने की जिद को छोड़कर नियम 167 (discussion under Rule 167) के तहत चर्चा पर सहमत (Agreed) हो गए हैं।
नियम 167 के तहत बहस के बाद वोटिंग का प्रावधान है। लेकिन विपक्ष इस बहस के बाद प्रधानमंत्री के बयान पर अभी भी अड़ा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Congress President Mallikarjun Kharge) के साथ उनके कक्ष में नेता सदन पीयूष गोयल (Leader of the House Piyush Goyal) और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी (Parliamentary Affairs Minister Prahlad Joshi) से बैठक में विपक्ष की ओर से गुरुवार को यह समाधान प्रस्तावित किया गया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, गेंद सत्ता पक्ष के पाले में है। फैसला मोदी सरकार को करना है। इसी तरह के संकेत टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से दिया। उन्होंने कहा, संयुक्त विपक्ष सदन में बहस चाहता है, हमारा कोई अहंकार नहीं है।
समाधान का प्रस्ताव दिया है, गतिरोध टूटना चाहिए : कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव और सदन में मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने ट्वीट किया, गतिरोध टूटना चाहिए, मणिपुर पर लंबी बहस होनी चाहिए। गौरतलब है कि पूर्व में नियम 167 के तहत 2002 में गुजरात दंगे पर चर्चा हुई थी। 2010 में अरुण जेटली महंगाई पर इसी नियम के तहत चर्चा की पहल की थी।
अब पत्रिकाओं का पंजीकरण आसान
इधर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रचार आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 को पटल पर रखा। ठाकुर ने कहा कि अब पत्र पत्रिकाओं एवं नए अखबारों के पंजीकरण के लिए जिलाधिकारी से लेकर रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज पेपर ऑफ इंडिया मुख्यालय तक की दौड़ लगाने की आवश्यकता नहीं होगी, ऑनलाइन सुविधा के माध्यम से घर बैठे ही इसका लाभ मिल सकेगा। वह भी तय समय के भीतर। मानकों का उल्लंघन करने पर कारावास के प्रावधानों को हटाया गया है, नियम सरल किए गए हैं।
अब तक 216 सिविल सेवकों पर केस
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पांच साल से अधिक समय में 216 सिविल सेवकों के खिलाफ मामले दर्ज किए। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा कि 39 सिविल सेवक महाराष्ट्र से, 22 जम्मू-कश्मीर से, 21 दिल्ली से, 17 उत्तर प्रदेश से और 14 कर्नाटक से हैं। पिछले पांच वर्षों में सीबीआई ने 216 सिविल सेवा अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किए हैं।
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