भोपाल। भारतीय जनता पार्टी 2018 की गलती कतई दोहराना नहीं चाहती। इसलिए वह हर वर्ग को साधने के साथ क्षेत्रीय संतुलन के साथ आगे बढ़ रही है। यही वजह है कि इस बार भाजपा विजय संकल्प यात्रा निकाल रही है। प्रदेश में पहली बार होगा कि भाजपा कांग्रेस की तर्ज पर क्षेत्रीय नेताओं को आगे कर चुनाव लड़ेगी। प्रदेश में 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने छिंदवाड़ा के जाम सांवली हनुमान मंदिर से संकल्प यात्रा से शंखनाद किया था। इसके बाद भाजपा ने दिग्विजय सिंह सरकार को बेदखल कर दिया था। उमा भारती दिसंबर 2003 में सीएम बनीं उनके बाद बाबूलाल गौर अगस्त 2004 में सीएम बने। गौर के बाद शिवराज सिंह चौहान ने नवंबर 2005 से सीएम की बागडोर संभाली थी।
जनआशीर्वाद यात्रा निकालते रहे शिवराज
शिवराज ने 2008, 2013 और 2018 के चुनाव के पहले जुलाई और अगस्त में जनआशीर्वाद यात्रा निकाली। इस यात्रा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही केंद्र में रहते थे। वह दो से तीन महीने में प्रदेश की 230 में से अधिकतर विधानसभा सीटों को कवर कर लेते थे। भाजपा ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव किया है। इस बार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के शीर्ष नेताओं ने जनआशीर्वााद यात्रा की जगह विजय संकल्प यात्रा निकालने का निर्णय लिया है। इसका रोडमैप तैयार कर लिया है। इसको जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा।
सितंबर में शुरू होगी विजय संकल्प यात्रा
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार यात्राएं सितंबर के पहले सप्ताह में शुरू होगी। जो जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, चित्रकुट और एक अन्य जगह से निकलेंगी। इसमें अलग-अलग क्षेत्र के अनुसार भाजपा नेताओं को कमान सौंपी जाएगी। इन यात्रा में क्षेत्र अनुसार नेता इसका नेतृत्व करेंगे। इन यात्राओं की अलग-अलग जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, वीरेंद्र खटीक, फग्गन सिंह कुलस्ते समेत अन्य नेताओं को दी जा सकती है। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा यात्राओं के बीच बड़े आयोजन में शामिल हो सकते हैं।
2018 की गलती दोहराना नहीं चाहती भाजपा
भाजपा ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव किया है। दरअसल भाजपा 2018 की गलती नहीं दोहराना चाहती है। पिछली बार भाजपा को मालवा, ग्वालियर-चंबल और महाकौशल में नुकसान हुआ था। इसलिए इस बार क्षेत्र वार नेताओं को सामने किया जाएगा। ये नेता यात्रा में घूमेंगे और चुनाव में जिसके क्षेत्र में जितनी सीटें मिलेगी, उसका कद उतना बड़ा होगा।
यह है नई रणनीति का फायदा
अभी तक चुनाव एक ही नेता पर निर्भर करता था। अब पांच या उससे अधिक नेता सक्रिय होंगे। इसमें उस क्षेत्र की जिम्मेदारी उस नेता की होगी। इसमें संबंधित क्षेत्र के नेता की जिम्मेदारी अपने नाराज नेताओं की नाराजगी दूर करने से लेकर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और सक्रिय करने की रहेगी। संबंधित नेता अपने क्षेत्र में ज्यादा फोकस कर पाएंगे।
यह हो सकता है नुकसान
भाजपा का संगठन एकजुट माना जाता है। क्षेत्र अनुसार पांच या अधिक नेताओं को आगे बढ़ाने से वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो सकती है। अलग-अलग क्षेत्र में नेता खड़े होंगे। इससे गुटबाजी भी बढऩे की आशंका रहेगी। इस व्यवस्था से कार्यकर्ता संगठन की बजाए नेता केंद्रित हो जाएंगे। इससे पार्टी को आने वाले समय में नुकसान हो सकता है।
क्षेत्रीय नेताओं की होगी बड़ी जिम्मेदारी
राजनीतिक विश£ेषकों का कहना है कि अभी तक भारतीय जनात पार्टी प्रदेश के चुनाव में एक व्यक्ति केंद्रित चुनाव लड़ती रही है। मुख्यमंत्री के तौर शिवराज सिंह चौहान ही चुनाव से पहले जनआशीर्वाद यात्रा निकालकर जनता से आशीर्वाद लेते थे।
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