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    अंडर ग्राउंड नाले त्रिवेणी के समीप शिप्रा नदी में मिल रहे हैं

  • July 30, 2023

    • इंदौर और देवास रोड की दर्जनों कालोनियों और इंडस्ट्री एरिये से आ रहा है केमिकल युक्त गंदा पानी

    उज्जैन। अब तो ऐसा लगने लगा है कि शिप्रा नदी कभी साफ स्वच्छ और निर्मल नहीं हो सकेगी। अभी तक तो रामघाट और आसपास के क्षेत्रों में खुलेआम गंदे नाले शिप्रा में मिल रहे थे लेकिन अग्रिबाण ने अपनी पड़ताल में पाया कि इंदौर रोड और देवास रोड सहित देवास रोड नागझिरी क्षेत्र की केमिकल फैक्ट्रियों का पानी सीधे दो बड़े नालों से अंडर ग्राउंड होता हुआ त्रिवेणी नदी पर मिल रहा है। इंदौर रोड और देवास रोड पर बिल्डरों ने कालोनियाँ तो बना दी लेकिन बड़े नाले बना कर पानी शिप्रा नदी के अंदर मिलाने के लिए छोड़ दिया और नालों का निर्माण भी ऐसा किया कि जमीन के अंदर किसी को पता भी नहीं चले। उज्जैन की शिप्रा नदी सभी तीर्थ नदियों से एक तिल बड़ी नदी है। चारों धाम के तीर्थ करने के बाद उज्जैन की शिप्रा नदी में नहान नहीं करते हैं तो कोई भी तीर्थ नहीं लगता। शिप्रा नदी को प्रवाहमान, स्वच्छ, प्रदूषित रहित बनाने के लिए संतों ने कई बार धरने, अनशन पर बैठे। शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि ने शिप्रा नदी को स्वच्छ एवं प्रवाहमान बनाने के लिए कई योजनाएँ लाएँ लेकिन शिप्रा नदी स्वच्छ और निर्मल नहीं हो सकी। अभी तक देखने में आ रहा था कि रामघाट की ओर कुछ नाले नदी में सीधे मिल रहे हैं जिससे की शिप्रा नदी का पानी अशुद्ध हो रहा है लेकिन अब तो इंदौर रोड स्थित नवग्रह शनि मंदिर के समीप बहने वाली त्रिवेणी संगम में भी 2 नाले मिल रहे हैं। यह नाले इंदौर रोड की दर्जनों कॉलोनियों के पानी के हैं और नागझिरी स्थित केमिकल प्लांट और फैक्ट्रियों का पानी है जो सीधे अंडर ग्राउंड नालों से त्रिवेणी में मिल रहे हैं। इंदौर रोड देवास रोड की एक दर्जन से अधिक कॉलोनी और इंडस्ट्री एरिया की फैक्ट्रियों का केमिकल का गंदा पानी त्रिवेणी से शिप्रा नदी में मिल रहा है।



    रहवासी ने बताया कि वार्ड नंबर 53 व वार्ड 54 की दर्जनभर से अधिक कॉलोनियों, नागझिरी उद्योगपुरी की फैक्ट्रियों का वर्षों से गंदा पानी त्रिवेणी से शिप्रा नदी में जाकर मिल रहा है। इस नाले की ओर न प्रशासन, न नेताओं का ध्यान बिलकुल नहीं है। त्रिवेणी में तीन नदियों का संगम है। त्रिवेणी पर शनिचरी अमावस्या का नहान जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर स्नान करते हैं जिससे पुण्य लाभ मिलता हैं। प्रशासन एक और बड़े-बड़े दावे करता है कि शिप्रा नदी में अब किसी भी गंदे नाले का पानी नहीं मिलेगा फिर भी गंदे नालों का पानी शिप्रा नदी में मिल रहा है। रहवासी भी बताते हैं कि उद्योगपुरी फैक्ट्रियों से केमिकल का पानी नालों में से होता हुआ जाता है जिससे कॉलोनी में रहने वाले प्रवासियों को भी बदबू और बीमारी का सामना करना पड़ता है। कई बार पार्षद को भी इन सभी बारे में बताया परंतु अभी तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं कराई गई। नालों की सफाई तक नहीं कराते जिससे पानी हमेशा बहता रहे। औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री स्थापित करने से पहले सभी फैक्ट्रियों में एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) प्लांट करना अनिवार्य होता है। कुछ फैक्ट्री मालिक अपने फैक्ट्रियों में ईटीपी प्लांट नहीं बनाते और गंदा पानी डायरेक्ट ही बड़े नाले में छोड़ देते हैं। जिससे आसपास रहने वाले लोगों को बीमार हो जाते हैं। विकास प्राधिकरण ने शिप्रा विहार व त्रिवेणी विहार कॉलोनी का निर्माण किया। इन दोनों कालोनी का पानी निकासी के लिए नाले बनाए गए थे। नगर निगम और प्रशासन को त्रिवेणी में मिल रहे हैं। प्रशासन को गंदे नाले पर रोकथाम करने के लिए कार्यवाही करना चाहिए। नेहरू नगर, शिप्रा विहार, आदर्श इंदिरा नगर, नागझिरी और उद्योगपुरी इंडस्ट्री एरिया, देवास रोड पर बसी बहुत सी ऐसी कॉलोनी है, जो प्राइवेट बिल्डरों द्वारा बनाई गई है जिनके नालियों का पानी भी इन दोनों नालों में से होकर जाता है। इंदौर रोड पर त्रिवेणी विहार, राजीव नगर, गोयला खुर्द और भी कॉलोनी है इन सभी कालोनियों का गंदा पानी त्रिवेणी में जाकर मिल रहा है।

    उद्योगों के लिए ईटीपी प्लांट होना चाहिए
    ईटीपी प्लांट को लेकर भारत सरकार के सख्त निर्देश गाइडलाइन है। कमर्शियल उद्योग क्षेत्र स्थापित किया जाता है। फैक्ट्रियों में यहां प्लांट बनाया जाता है और फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी के लिए एक प्लांट बनाया जाता है। इस प्लांट का नाम एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) प्लांट कहा जाता है। इस प्लांट का मतलब होता है फैक्ट्री से निकलने वाले गंदे पानी को स्टोरेज कर एफ्लुएंट ट्रीटमेंट कर पुन: पानी को उपयोग में ले सकते हैं। इस पानी को ट्रीटमेंट से सही कर पौधों में उपयोग कर सकते हैं।

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