भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) पर निशाना साध रहे हैं. इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति के तहत प्लानिंग करते हुए हमले किए जा रहे हैं. बीजेपी की यह नई रणनीति उसे कितना फायदा पहुंचाएगी, यह तो वक्त बताएगा लेकिन समय के साथ-साथ राजनीतिक संगठन अपनी रणनीति में भी लगातार बदलाव करते रहते हैं.
भारतीय जनता पार्टी ने भोपाल में अपने चुनावी कार्यालय का औपचारिक उद्घाटन कर दिया है. मतलब साफ है कि भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है. इसके अलावा, बीजेपी लगातार अपनी रणनीति में भी परिवर्तन कर रही है. पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भाषण में लगातार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम आ रहा है. इसके अलावा, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी दिग्विजय सिंह पर हमले बोल रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल का लगातार जिक्र करते हुए भारतीय जनता पार्टी नई रणनीति पर काम कर रही है.
सड़कों को लेकर की गई सबसे बड़ी तुलना
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने भाषण में कांग्रेस के हमलों का जवाब देते हुए बोल रहे हैं कि कांग्रेस के कार्यकाल में मध्यप्रदेश में 23,000 किलोमीटर की सड़कें थी जबकि उनके द्वारा 18 साल की सरकार 41,1000 किलोमीटर लंबी नई सड़कों का निर्माण कराया गया है. बीजेपी इसी तुलनात्मक दृष्टि से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में सड़कों के हाल को लेकर लोगों को सचेत कर रही है.
शिवराज राज बनाम दिग्विजय
यह भी प्रसारित किया जा रहा है कि साल 1996 से लेकर 2003 तक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में अपनी सरकार चलाई, उस दौरान बिजली और अन्य मूलभूत सुविधाओं के बीच हाल बेहाल था. बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ चिंतामणि मालवीय के मुताबिक दिग्विजय सिंह का कार्यकाल मध्यप्रदेश के लिए लालटेन योग बन गया था. बिजली के मुद्दे पर भी दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान की तुलना की जा रही है. बीजेपी है बताना चाहती है कि चुनाव विधानसभा चुनाव 2023 कमलनाथ वर्सेस शिवराज सिंह चौहान नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह वर्सेस शिवराज सिंह चौहान है.
…इसलिए नहीं लिया जा रहा है कमलनाथ का नाम
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम इसलिए बीजेपी नहीं लेना चाहती है क्योंकि कमलनाथ का नाम आते ही उनकी सरकार कैसे खरीद-फरोख्त करते हुए गिराई गई, इस बात का भी जिक्र होता है. इन्हीं सब कारणों से भारतीय जनता पार्टी बार-बार मुद्दे और नेताओं के नाम को लेकर रणनीति बदलती रहती है. इस बार भाजपा भले ही कोई भी मुद्दा ले आए लेकिन भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के साथ-साथ महंगाई मध्य प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है.
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